स्मैक सप्लाई का केन्द्र बनता जा रहा शोहरतगढ़, स्मैक माफिया पर हाथ डालने से कतराती है पुलिस

October 4, 2020 1:33 PM0 commentsViews: 571
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— मुफ्त की स्मैक दे कर सामान्य अपराधों से लेकर साम्प्रदायिक झड़पों में स्मैकियों का किया जाता है इस्तेमाल

नज़ीर मलिक

सिद्धार्थनगर।नशा खास कर स्मैक की लत से जिले का उपनगर शोहरतगढ़ दो दशकों से पीड़ित है। गांजा, चरस, नेपाली शराब और स्मैक रह रह कर कस्बेवासियों को पीड़ा पहुँचाती रही है । नशे के कारोबारी अपना कारोबार बेखौफ होकर करते हैं, जिसकी एक बानगी 21 सितंबर को देखने को मिली,जिससे पता  चला कि नशे के कारोबार से चकाचौंध कमाई के आकर्षण ने कस्बे में दो नए धंधेबाजों को पैदा कर दिया है।

नेपाली  जरायम की दनियां की जानकारी रखने वाले सूत्रों के अनुसार 21 सितंबर को भारत नेपाल सीमा पर नेपाल के मर्यादपुर पुलिस चौकी अंतर्गत  हड्डिहवा गांव में सादी वर्दी में तैनात नेपाली प्रहरी के जवानों ने दो  युवकों को गिरफ्तार किया, दोनों जिले के उपनगर शोहरतगढ़ निवासी हैं।तलाशी के दौरान नेपाली पलिस ने उनके पास से भारी मात्रा में समैक बरामद किया।

सूत्रों के अनुसार कस्बा शोहरतगढ़ में लाखों की स्मैक की खेप लगभग दो सप्ताह पहले उतारी गई। जिसकी खपत की कवायद में नशे के कारोबार से जुड़े पुराने व नए लोगों से संपर्क साधा गया था और उन्हीं के द्वारा इस माल को जिले के कई प्रमुख कस्बों और चर्चित चौराहों पर सप्लाई  देने की कोशिश जारी है।  इसी कड़ी में कस्बा निवासी दो कैरियर्स को नेपाल में स्मैक सप्लाई का जिम्मा दिया गया और पकड़े गए।

नशे की दुनियां की जानकारी रखने वालों का मानना है कि  इतनी बड़ी मात्रा में आई समैक को खपाना एक दो लोगों के बस की बात नहीं। इसलिए बाकी के डंप स्मैक का पता लगाकर उसको बरामद करना अब शोहरतगढ़ पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है। लेकिन पुलिस इस दिशा में काम नहीं कर रही है।

 यदि समय रहते इन्हें नहीं पकड़ा जाता है तो कस्बे के साथ ही साथ क्षेत्र के हजारों नौजवानों की जिंदगी बर्बाद हो जाएगी। स्मैक की इस बड़ी खेप से शोहरतगढ़ पुलिस पर एक बड़ा सा सवाल खड़ा हो गया है कि शोहरतगढ़ टाउन स्मैक का डंपिग केन्द्र है, लेकिन उन्हें पकड़ नेपाल पुलिस रही है।

पच्चीस साल में फैला नशा का कारोबार

उपनगर शोहरतगढ़ में नशे कि लत को फैलाले का काम 25 साल पहले हुआ था। पहला टार्गेट स्कूल के बच्चों को बनाया गया उसके बाद गैर स्कूली युवाओं को। धीरे धीरे इसकी लत बढ़ी और अब तो यह सभी वर्ग और जति में फैल गया है। इस प्रकार यह रोग समय के साथ व्यापक होता गया। आज उपनगर के बहुत से युवा इसकी गिरफ्त में हैं। इन युवकों का अपराध के क्षेत्र में भी दखल है। वह अक्सर अपराध में पकड़े जाते हैं, मगर पुलिस कभी भी स्मैक मफिया पर निर्णायक चोट नहीं करती। करण सभी जानते हैं।

साम्प्रदायिक बवाल के औजार बनने लगे हैं स्मैकिये

उपनगर की हिस्ट्री को खंगाला जाए तो  इन नशड़ियों के कारण हत्या व साम्प्रदायिक झड़प आदि  की घटनाएं भी हो चुकी है। लेकिन पुलिस कभी इसकी तह तक नहीं जाती, वरना मुखौटा वाले बड़े बड़े चहरे बेनकाब हो जाते। पिछली कई साम्प्रदायिक झड़पों और अतीत में एक सपा नेत्री के बेटे की हत्या में इन नशेड़ियों की काफी चर्चा हुई थी। उस हत्याकांड में एक माफिया पकड़ा भी गया था। लेकिन ऐसे मामले में किसी स्मैक कारोबारी के होने के बाद भी पुलिस ने उसकी छानबीन करने जहमत कभी नहीं समझी।

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