डुमरियागंज सीटः ओवैसी की ललकार आखिर कितनी असरदार?

March 1, 2022 3:03 PM0 commentsViews: 379
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भागीदारी परिवर्तन मोर्चा की जनसभाएं लगातर हो रहीं सफल, काफी तादाद में ओवैसी को सुनने के लिए जुटी ग्रामीणों की भीड़

 

नजीर मलिक

डुमरियागंज, सिद्धार्थनगर।भागीदारी परिवर्तन मोर्चा के नेता और AIMiM के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी की जनसभाओं में जुटने वाली भीड़ को देख कर एमिम उम्मीदवार इरफान मलिक के हौसले बुलंद होंगे, मगर भीड़ ही जीत का पैमाना नहीं माना जा सकता। इसलिए इस बात की समीक्षा जरूरी है कि डुमरियागंज में बैरिस्टर ओवैसी की ललकार आखिर कितनी असरदार साबित होगी?

हम आपको बता दें कि डुमरियागंज की सभाओं में बैरिस्टर ओवैसी का भाषण काफी नपा तुला रहा। पहली सभा की भारतभारी की तरह दूसरी सभा में भी उन्होंने कोई ऐसी चुटीली बात नहीं कही जिसके सहारे विपक्ष कोई बतंगड़ बना सके सा वोटों घ्रवीकरण कर सके। उन्होंने नपे तुले अंदाज में मुसिलमानों और अति पिछड़े कमजोर वर्ग की भावनाओं को सलीके से उभारा और कहा कि वे सिर्फ अपनी लीडरशिप के लिए लड़ रहे हैं। जब अल्पसंख्यकों व अति पिछड़ों की अपनी लीडरशिप होगी तो समसयाएं अपने आप हल होगी।

उन्होंने अपने प्रांत तेलंगाना की मिसाल देते हुए कहा कि तेलंगाना में उनके सात विधायक हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री केसीआर पर दबाव बना कर कमजोर समाजों के इलाके में स्कूल खुलवाए जहां पर सठ हजार मुस्लिम बच्चों को मुफत शिक्षा और हास्टल की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि तेलंगाना में उनका कोई मंत्री नहीं है। उनका कहना था काम मंत्री नहीं प्रेशर ग्रुप के जरिए ही मुमकिन है। जिसके लिए आपका अपना एमएलए जरूरी है।

उन्होंने लोगों से इरफान मलिक के पक्ष में वोट देने की अपील करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में अगर इरफान जैसे दो दर्जन व्यक्ति भी जीत जाएं तो सब मिल कर एक प्रेशर ग्रुप के रूप में सरकार से जो चाहें करवा सकते हें। इसी लिए अतिपिछड़ों के नेता बाबूराम कुशवाहा के साथ् मिल कर भागीदारी परिवर्तन मोर्चा बनाया गया है।

जनसभा में उन्होंने भाजपा और कांग्रेस पर जम कर हमले किये और कहा कि कांग्रेस ने मुसलमानों को बेवकूफ और मानसिक विकलांग बनाया तो भाजपा ने उन्हें हक और इंसाफ से वंचित कर दिया। इनसे लड़ने के लिए आपकी अपनी लीडरशिप जरूरी है। उन्होंने मुसलमानों और अति पिछड़ों से अपील किया कि वे इरफान मलिक को वोट दें तथा अपनी लीडरशिप को बढाएं। उन्होंने मुसलमानों से कहा कि वे उन पार्टियों से बचें जो अपनी ही पार्टी के बड़े नेता ;(आजम खान) के समर्थन में आवाज तक न उठा सके।

कुल मिला कर ओवैसी ने बहुत सघे अंदाज में मुसलमानों और हिंदू समाज के दिल में दबी आवाज को बेहद प्रभावशाली अंदाज में अपनी आवाज दी। उन्होंने उनकी दुखती हुई एक एक रग को पकड़ा जिससे कुल मिला कर उनका भाषण बेहद प्रभावशाली रहा। अब यह वोट में कितना तब्दील हो सकेगा इसका खुलासा मतगणना के बाद ही हो सकेगा।

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