पंचायत चुनावों में नेपाली नागरिक बदलेंगे नतीजे, सीमाई गांवों में फर्जी वोटरों की भरमार

September 13, 2015 3:46 PM0 commentsViews: 179
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नजीर मलिक

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चुनाव के दिन भारतीय क्षेत्र में ऐसे लगती है नेपालियों की कतार

सिद्धार्थनगर के सीमाई इलाकों में नेपाली नागरिकों की बडी तादाद वोटर के रूप में दर्ज हो गई हैए जो तमाम गांव क्षेत्र व जिला पंचायत क्षेत्रों का चुनावी समीकरण बिगाड सकते हैं। सारे षडयंत्र के पीछे मतदाता सूची बनाने वाले कर्मी यानी बीएलओ जिम्मेदार बताये जा रहे हैं लेकिन प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।

खबर है कि नेपाल सीमा से सटे बर्डपुर विकास खण्ड की ३७ ग्राम सभाओं में से अधिकांश में नेपाल के नागरिक बडी तादाद में फर्जी वोटर बन गये हैं। सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण हजारों परिवार ऐसे हैंए जिनकी भारत व नेपाल में दोनों जगहों पर खेती.बारी है। लकिन वे मूलतः नेपाल के नागरिक हैं।

मिसाल के तौर पर ग्राम चकईजात को ही लें। इस ग्राम पंचायत में आबादी के सापेक्ष अस्सी प्रतिशत मतदाता हैंए जो संभव नहीं है। आम तौर पर आबादी का पचास से साठ प्रतिशत हिस्सा ही वोटर होता है। यही हाल भगवानपुर का है। यहां भी अनेक नेपाली नागरिकों को मतदाता बना दिया गया है।

नेपाल से सटे बर्डपुर नम्बर.१ की हालत और भी दिलचस्प है। लगभग ६ हजार मतदाताओं वाली इस ग्राम पंचायत में नेपाल के पकड़ीए बिजुआ, गौरा, गनेशपुर, रंगपुर, चाकर चौड़ा, भाईस रतनपुर, सिसहनियांए पिपरा, बर्रोहिया आदि गांवों के रहने वाले मतदाता बने हुए हैं। विकास खण्ड कार्यालय पर इसकी शिकायतें भी हुईं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

बताया जाता है कि यह हालत केवल बर्डपुर ब्लाक की नहीं है। शोहरतगढ बढनी और लोटन ब्लाक में सीमा से सटे दर्जनों गांवों में भी यही खेल खेला गया है। इसके लिए मतदाता सूची बनाने वाले बीएलओ की खूब खातिरदारियां भी की गई हैं।

दरअसल सीमाई इलाकों के राजनीतिज्ञ इस खेल को पूरी योजना से खेलते हैं। पहले वह मतदाता सूची बनाने वाले कर्मी को रिश्वत देकर पटा लेते हैं। फिर नेपाली नागरिकों का नाम मतदाता सूची में डलवा देते हैं। प्रशासन मतदान के ४८ घंटे पहले सीमा सील कर देता हैए लेकिन नेपाली वोटर उससे पूर्व ही भारत में प्रवेश कर जाते हैं और अपने प्रत्याशियों के ठिकानों पर तीन दिन मौज करते हैं। फिर वोट डाल कर नेपाल लौट जाते हैं।
इन फर्जी वोटरों के बारे में खंड विकास धिकारी बर्डपु का कहना है कि वोटरलिस्ट प्रकाशन के बाद आपत्ति ली जाती है। उस पर जांच कर मतदाता का नाम काटा जाता है। अगर किसी ने आपत्ति नहीं की है तो नाम काट पाना कठिन है।

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