डुमरियागंज में पीस पार्टी ने लगाया अशोक सिंह पर दांव, सपा बसपा पर खतरा मंडराया

January 18, 2017 12:36 PM0 commentsViews: 1491
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नजीर मलिक

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सिद्धार्थनगर। डुमरियागंज विधानसभा सीट पर पीस पार्टी ने अपने पांसे बहुत चालाकी से फेंके। उन्होंने अशोक सिंह को प्रत्याशी बना कर सपा और बसपा के उम्मीदवारों के सामने चुनौती खड़ी कर दी है तो भाजपा पर भी वही खतरा मंडरा रहा है।

कल डुमरियागंज की सभा में पीस पार्टी ने अपने प्रत्याशी की घोषण का एलान कर दिया। इस बार फिर अपने किसी कैडर को टिकट न देकर पुरानी परम्परा के तहत बाहर के आयातित नेता अशोक सिंह पर भरोसा किया। पहले भी दो चुनावों में पीपा अध्यक्ष डा. अयूब इसी परम्परा पर चले थे।

कौन हैं अशोक सिंह

बस्ती जिले से राजनीति शुरू करने वाले अशोक सिंह  अब तक डुमरियागंज से तीन चुनावों में अपना हाथ आजमा चुके हैं।वर्ष २००२  में वे पहली बार बसपा से चुनाव लडें थे और २८१५१ वोट पाकर तीसरें स्थान पर रहे थे। २००२ का चुनाव कमाल यूसुफ ने ४४३९६ वोट पाकर जीता था। हालांकि तब अशोकसिंह का प्रदर्शन अच्छा माना गया था

२००७ के चुनाव में मलिक तोफीक अहमद बसपा के प्रत्याशी हुए तो अशोक सिंह कांग्रेस का दामान थाम लिया। इस चुनाव में मलिक तौफीक अहमद ३२६२६ वोट कर जरतेए जबकि १९४२६ वोट पाकर अशोक सिंह फिर तीसरे नम्बर पर रहे।

मलिक तौफीक अहमद के निधन के बाद २०१० में हुए उपचुनाव में श्रीमती खातून तोफीक को ष्फतह मिली। उन्होंने ४४७६५ मत हासिल किया। जबकि कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में १९२०६ मत पाकर कांग्रेस प्रत्याशी अशोक सिंह इस बार चौथे स्थान पर धकेल दिए गये।

क्या है अयूब का दांव

दरअसल डा. अयूब पीस पार्टी के बनने के बाद से डुमरियागंज सीट को अहमियत देते रहें हैं। उन्होंने पहले चुनाव में तब खांटी संघी माने जा रहे सच्चिदा पांडेय पर दाव लगाया था तब पांडेय  को २६ हजार वोट मिले थे
इसके  बाद चार बार विधायक रहे कमाल यूसुफ ने पीस पार्टी को अपनाया। २०१२ के चुनाव में कमाल ४४३७३ वोट पाकर पीपा के विधायक बनेंए मगर विधायक बनते ही पीपा को अलविदा कह दिया। इस बार उनका दांव सटीक है। उन्होंने चुनावी पांसा बहुत चुतुराई से फेंका है। जिसके दोनों मुस्लिम उम्मीदवारों के खिलाफ जाने की संभावना अधिक है। शायद अयूब डुमरियागंज में मुस्लिम कयादत को  संदेश देना चाहते हैं कि पीस पार्टी के बिना उनका कोई वजूद नहीं रहेगा।

तीन प्रमुख दलों पर खतरा मंडराया
इस बार अशोक सिंह को प्रत्याशी बनाने से सपाए बसपा और भाजपा  तीनों दलों के उम्मीदवारों को चौकन्ना रहना होगा। अगर अशोक सिंह को ज्यादा मुस्लिम वोट मिले  तो सपा के कमाल यूसुफ और बसपाकीसैयदा खतून को नुकसान उठाना पड़ सकता हैए पर अगर उन्होंने राजपूत वोटों में बड़ी सेंधमारी की तो इसका खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ सकता है।

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