हफीज मलिक के जज्बे को सलाम, 7 हजार प्रवासी मजदूरों को अपने खर्चे से घर पहुंचाया

June 7, 2020 11:36 AM0 commentsViews: 315
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— यूपी, बिहार के हजारों मजदूरों के लिए पाकेट से लाखों खर्च करने से भी नहीं हिचके, टूटे हाथ लिए करते रहे मदद

— पूरे लाकडाउन में कहीं साधन तो कहीं  भोजन पहुंचाते नजर आये हफीज मलिक, अभी भी इमदाद जारी  है

आरिफ मकसूद

 उत्तर प्रदेश के  गोंडा जिले के निवासी हफीज मलिक  ने लॉकडाउन  में फंसे लगभग 7 हजार मज़दूरों को अपने खर्चे पर मुबई से घर भेजने का कार्य किया है।  बिहार और उत्तर प्रदेश के अनेक जिलों के प्रवासी मजदूरों को अपने घर भेजने में मदद की है । लेकिन मीडिया में उनका जिक्र तक नहीं है। इसलिए कि न वह एक्टर हैं न ही राजनेता। हां मदद  करना उनके जज्बे में जरूर शुमार है। बतातें चलें कि हफीज मलिक गोंडा जिले के गौरा विधानसभा के निवासी हैं, मुंबई में वह  एक नामचीन बिजनेसमैन हैं ।  वह गौरा विधानसभा से पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुकें हैं ।

ऐसे  साथी को सलाम जिसने पूरी दो ट्रेन बुक कर दी

भारत में कोरोना वायरस के कारण राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लगाया गया।  जिसके कारण लोगों के काम-धंधे पर बुरा असर पड़ा ।  ऐसे में लाखों प्रवासी श्रमिक देश के कई हिस्सों में फंसे हुए थे ।  और अपने घर जाना चाहते थे ।  सरकार द्वारा कई ट्रेनों और बसों का इंतजाम किया गया है ताकि प्रवासी मजदूरों को अपने हर वापस भेज सकें । लेकिन महाराष्ट्र में श्रमिकों की संख्या ज्यादा और ट्रेनों का परिचालन कम होने के कारण मजदूरों को काफी दिक्कत हो रही थी ।  बहुत सारे मजदूरों के पास किराया नहीं था । ऐसे में मसीहा के रूप में आये हफीज मलिक  ने पूरी दो ट्रेन ही बुक करली ताकि लोग निशुल्क आसानी से अपने घर जा सके ।

 किसान के घर जन्मा हूँ, इसलिए गरीब का दर्द समझता हूं

तपती दोपहर में सड़क किनारे बदहवास हालत में अपने घरों को लौटते हजारों प्रवासी श्रमिकों को देखकर किसी ने दुख जताया तो किसी ने हमदर्दी, लेकिन हफीज मलिक ने इनके दर्द को महसूस किया और न सिर्फ इनके लिए दो वक्त के खाने का इंतजाम किया बल्कि इन्हें सैकड़ों मील दूर इनके घरों तक पहुंचाने का जिम्मा भी उठाया ।

मलिक के दरियादिली से  इन शहरों से मजदूर पहुंचे अपने घर

हफीज मलिक के द्वारा मुम्बई के अलग अलग जगहों से हजारों प्रवासियों को उनके घर भेजा गया है ।  टिटवाला, बदलापुर, नालासोपारा, नायगांव, विरार, वसई, कांदिवली, साकीनाका, कुर्ला, सायन, वडाला, गोवंडी, मानखुर्द, चेम्बूर, विद्याविहार आदि जगहों से गरीबों का दर्द बांट कर हफीज मलिक ने  दिल खोल कर मदद की है ।  और मजदूरों को निशुल्क घर भेजने का व्यवस्था की ।  

    सोनू सूद के तर्ज पर गरीबों के मदद के लिए निकल पड़े हफीज मलिक

इटवा तहसील क्षेत्र में मुंबई से आये लवकुश कहतें हैं कि हफीज मलिक की दरियादिली की चर्चा जब हमने सुना तो उनकी टीम से सम्पर्क किया । दो दिन बाद मेरे पास फ़ोन आया कि आप का टिकट हो गया है ।  उसके बाद मै आसानी से अपने घर आ गया । तहसील क्षेत्र के मारूफ खान  बताते हैं कि लाकडाउन के कारण काम धंधे बंद थे।  पैसे भी खत्म हो गये थे ।  परिवार भुखमरी के कगार पर आगया था । ऐसे में   फ़रिश्ते के रूप में हफीज मलिक ने मेरी मदद की और मुझे निशुल्क घर भेजने की व्यवस्था की ।

टूटे हाथ पर नही टूटा सेवा का जज्बा

लाकडाउन में गरीबों के मदद के दौरान हफीज मलिक का हाथ फ्रेक्चर हो गया था । वह अपनी इस पीड़ा को भूल कर मजदूरों का मदद करने में लगे रहे ।उनका कहना है कि आज भी किसी गरीब को मदद की जरूरत होती है तो वह मंह नहीं मोड़ते। उन्होंने कहा कि इंसानियत और गरीब की  मदद के लिए  उनकी जान भी चली जाये तो परवाह नहीं है।

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