खुदकशी की कोशिश के अलावा गांव छोड़ कर क्यों फरार हो रही महिलाए

March 9, 2025 1:03 PM0 commentsViews: 565
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माइक्रो फाइनेंस कम्पनियों का खौफ अब डरावने स्तर पर, रिकवरी एजेंट अपमानित करने के साथ घर खेत पर देते हैं कब्जे की धमकी

नजीर मलिक

सिद्धार्थनगर। फाइनेंस कम्पनी से कर्ज लेने वाली एक महिला ने किस्त अदा न कर पाने पर घर खेत बिकने के भय से जहर खा लिया। जीरादेवी नामक यह महिला अभी भी अस्पताल में है। इसके अलावा पिछले एक महीने में दो महिलाए आत्महत्या की कोशिश करती दिखी, आधा दर्जन फाइनेंस कम्पनी के वसूली एजेंटों के खौफ से गाव छोड़ कर भाग चुकी हैं। ग्रामीण इलाकों में माइक्रों फाइनेंस कंपनियों  का खौफ अब काफी डरावने स्तर पर पहुंच चुका है। महिलाओं को छोटे कारोबार के लिए तत्काल लोन उपलब्ध करा कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के नाम पर ऐसी कम्पनियां गरीब और अशक्षित महिलाओं को फंसा कर उनके परिवारों को तबाह कर रही हैं।

एजेंटों की बदसलूकी और उत्पीड़न के डर से लोग जमीन गिरवी अथवा जेवर बेच कर  रखकर कर्ज चुका रहे हैं। ग्रामीण महिलाएं चूंकि अशिक्षित होती हैं और पूर्व में कुछ लोन के कागजों पर हस्ताक्ष कर चुकी होती हैं। इसलिए खर खेत बंधक होने के नाम पर वे डर जाती हैं। इसी का फायदा उठाते हुए दनके रिकवरी एजेंट उनका उत्पीड़न करने में कामयाब हो जाते हैं।  इसी प्रकार के उत्पीड़न से परेशान लोटन कोतवाली के लोहरौली गांव की महिला ने गुरुवार को जहरीला पदार्थ खा लिया था।

जब गांव के लोगों से फाइनेंस कंपनी के कर्ज और किस्त के बारे में जानकारी ली गई तो पता चला कि कर्ज में डूबे होने से पीड़ित एजेंट के खिलाफ शिकायत नहीं कर पाते हैं।  इसी प्रकार खेसरहा थाना क्षेत्र ढोलगाढ़ा गांव में माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के मकड़जाल में बीस से अधिक महिलाएं फंसी हैं। लोन व किस्त चुकाने के लिए कई महिलाओं को जमीन और गहने तक गिरवी रखने पड़े। एजेंटों के खौफ से दो महिलाएं घर छोड़ कर कहीं चली गई हैं। कंपनियों के एजेंट उनके घर जाकर उन्हें किस्त जमा करने की धमकी दे रहे हैं।

बताया जाता है कि पांच माह पहले किस्त जमा करने के दबाव के चलते गांव की पुष्पा पत्नी टीकमचंद ने फंदा लगा लिया। बच्चों के शोर मचाने पर गांव की महिलाओें ने उसे किसी तरह बचाया था। उसके पति ने छह मंडी जमीन बेच कर किस्त जमा की, मगर लोन अब भी चल रहा है। महिला घर छोड़कर कहीं चली गई है। इसी तरह कांती भी तीन बच्चों को छोड़कर कहीं चली गई है। ग्रामीणों के मुताबिक, बच्चे ननिहाल में रह रहे हैं। इंद्रावती ने बताया कि आभूषण बेचकर पैसे देने के बाद भी कर्ज खत्म नहीं हुआ है। इस गांव की प्रेमशीला, इंद्रावती, शकुंतला ने जेवर गिरवी रखकर किस्त अदा करने की बात बताती हैं।

पुलिस और प्रशासन भी ऐसे मामलों का संज्ञान  नहीं ले रहा, जिससे कर्ज बांटने वाले गिरोह का उत्पीड़न बंद हो सके। विधि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर पीड़ित आगे नहीं भी आ रहा है तो भी फाइनेंस कंपनी की जांच की जानी चाहिए और गड़बड़ पाए जाने पर कार्रवाई की जानी चाहिए। इस संबंध में कोतवाल लोटन राजेश गुप्ता ने बताया कि देर शाम तहरीर मिली है। जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।

 

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