हत्या हो जाने के बाद जागेगी इटवा पुलिस, प्रभारी मंत्री के दिये ज्ञापन से उठा सवाल?
कार, पिस्टल चोरों से बाप बेटे को जान का खतरा, मंत्री से संतरी
तक फरियाद अनसुनी, अब सीएम योगी से फरियाद करने की बारी
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। जिला पंचायत सदस्य इजहार अहमद और उनके पिता इसरार अहमद इस वक्त अपनी जान पर खतरा महसूस कर बेहद डरे हुए हैं। यह खतरा उन्हें अपनी कार व पिस्टल चुराने वाले गिरोह से है। जिसमें एक अभियुक्त को पकड़ कर कार व पिरस्टल बरामद भी कर ली गई, मगर अभियुक्त के बयान ने जिन चार अन्य षडयंत्रकारियों के नाम बताये, उन्हें पकड़ने का कोई प्रयास नहीं हो रहा है। एक अभियुक्त की गिरफ्तारी के बाद पुलिस का अचानक खामोश हो जाना चर्चा का विषय बना हुआ है।
इजहार अहमद की फारच्यूनर कार और रिवाल्वर गत 21 मार्च को चोरी हुई थी। कार उसी रात गोंडा जिले के मानिकापुर थाने की पुलिस ने बरामद कर ली थी, मगर अभियुक्त को पकड नहीं पाई थी। तमाम प्रयासों के बाद 15 मई को इटवा पुलिस ने बगल के डुमरियागंज थाने के भरवठिया निवासी आरिफ को गिरफ्तार कर रिवाल्वर भी बरामद कर लिया। पकड़े जाने पर आरिफ ने चार मुख्य षडयंत्रकारियों के नम भी बताये। मगर आरिफ के बयान के मुताबिक पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने की कोई कोशिश नहीं कर रही। जबकि सभी आरोपी इसी जिले के बताये जाते हैं। ।
सूत्र बताते हैं कि आरिफ की गिरफ्तारी के वक्त इटवा पुलिस ने जिला पंचायत सदस्य इजहार अहमद को अवैध हिरासत में लेकर दबाव डाला कि वे अपनी कार और रिवाल्वर को खुद ही चोरी कराने की बात स्वीकार करें, लेकिन तमाम हथकडों के बाद भी इजहार अहमद के स्वीकार न करने पर पुलिस असली अभियुक्तों की गिरफ्तारी के प्रति ठंडी पडने लगी। इजहार अहमद के मुताबिक उनकी रिवाल्वर से क्षेत्र में किसी की हत्या कर उन्हें फंसाने या उन्को भी जान से मारने की योजना थी। योजना के विफल होने के बाद अभियुक्तगण अब हाथ धोकर उनके परिवार के पड़े हुये हैं। नाम जानते हुए भी उन लोगों की गिरफ्तारी न होने से उन सबके हौसले बुलंद हैं।
बहरहाल आरिफ के कबूलनामे के बाद भी इटवा पुलिस की निष्क्रियता देख इजहार अहमद और उनके पिता ने एक दर्जन पंचायत सदस्यों के साथ दस दिन पूर्व एसपी से मुलाकात कर उन्हें सारी घटना से अवगत कराते हुए ज्ञापन देकर अपराधियों की गिरफ्तारी की मांग की। एसपी अभिषेक महाजन ने उन्हें कार्रवाई का अश्वासन भी दिया। लेकिन हुआ कुछ भी नहीं। अब फिर उन सभी ने चार दिन पहले प्रभारी मंत्री अनिल राजभार को ज्ञापन दिया। राजभार ने भी कारवाई का आश्वासन दिया मगर नतीजा सिफर ही रहा। इसरार अहमद कहते हैं कि पुलिस के उदासीन रुख से मन आशंका से भरा हुआ है, जान पर खतरा मंडरा रहा है। अब पीड़ित जन मुख्यमंत्री के दरबार में फरियाद करने का मन बना रहे हैं।
बताते चलें कि जिला पंचायत इजहार अहमद के पिता इसरार अहमद पूर्व जिला पंचायत सदस्य होने के साथ ईट भठ्ठा व्यवसाई भी हैं। उनकी अपनी छवि भी उत्तम हैं। ऐसा व्यक्ति अगर अपनी जान पर खतरा महसूस कर कार्रवाई के लिए दर दर भटकता है तो इससे कानून व्यवस्था कि स्थिति समझी जा सकती है।