महात्मा बुद्ध, गोरखनाथ और कबीर के विचारों को जन जन तक पहुंचाने की जरूरत- रिहाई मंच

September 2, 2019 3:32 PM0 commentsViews: 286
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—  रिहाई मंच ने डुमरियागंज और इटवा में किया जनसंवाद

अजीत सिंह

डुमरियागंज, सिद्धार्थनगर। जिले के डुमरियागंज और इटवा में रिहाई मंच द्वारा जन संवाद का कार्यक्रम किया गया. इसमें डुमरियागंज व इटवा के तमाम लोग मौजूद रहे और जिसमें रिहाई मंच अध्यक्ष मोहम्मद शोएब ,बांकेलाल यादव, राजिव यादव, परवेज शामिल रहे और जिस का संचालन शाहरुख अहमद ने किया संविधान और लोकतंत्र के विभिन्न आयामों पर युवा साथियों के बीच में विमर्श हुआ कि लगातार जिस तरह से मौलिक अधिकारों का हनन सत्ता प्रतिष्ठानों द्वारा किया जा रहा है

मंच के मुताबिक भारत नेपाल के तराई क्षेत्र के सिद्धार्थनगर में लगातार हो  रही घटनाओं के कारण यहां के मूलभूत सवालों पर कोई चर्चा नहीं होती,।  मंच के नेताओं ने कहा कि प्रदेश और देश मैं हो रहे आंदोलन हों या फिर किसानों से जुड़े आंदोलन हो और भी कोई सवाल हो, उनसे किसी तरह से इस क्षेत्र का नौजवान जुड़ सकता है।

मंच के अनुसार  इस पूरे क्षेत्र में शिक्षा और चिकित्सा के नाम पर कोई बेहतर अस्पताल नहीं है। इस क्षेत्र के बारे में बस यह बात रहती है कि यह भारत नेपाल का एक तराई क्षेत्र है और  इसके बारे में सरकारों के पास कोई नीति नहीं है। जबकि इस क्षेत्र का अपना एक सांस्कृतिक इतिहास रहा है। यह क्षेत्र बुद्ध, गोरखनाथ, कबीर जैसे महापुरुषों की धरती रही है और यहां पर लगातार इस तरह के प्रगतिशील विचारों को लेकर लगातार विमर्श रहा है। इस बात पर भी की बुद्ध ने समाज में समता समानता बंधुत्व और एक दूसरे को साथ में खड़ा करने का काम किया।ऐसे महापुरुषों को जनता के बीच ले जाकर उसको  एक सूत्र में बांधने की जरूरत है।

जनसंवाद कार्यक्रम रिहाई मंच द्वारा प्रदेश के विभिन्न जिलों में चलाया जा रहा है। जिसके तहत रविवार को  डुमरियागंज और इटवा में संवाद  हुआ और कल 2 तारीख को इसका आयोजन सिद्धार्थनगर एवं बांसी में होगा।यह कोशिश इस बात की है कि लगातार हम एक साथ एकजुट होकर अपने जीवन स्तर को बढ़ाने जैसे सवालों पर हम कैसे खड़े हो सकते हैं! कार्यक्रम में अज़ीमुश्शान फारूकी, रियाज़ खान, नौशाद मलिक, एजाज़ खान, नेमतुल्लाह , कलीम फारूकी, आबिद अली, असलम, मलिक हिदायतुल्लाह, अब्दुल वली, अशरफ अली, अफ़ज़ल, नौशाद अहमद,जमील अहमद, अख्तर , साजिद आदि लोग मौजूद रहे।

 

 

 

 

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