समाजवादी पार्टीः इस बार सदर विधानसभा सीट पर रहेगी अखिलेश यादव की नजर

January 5, 2021 1:23 PM0 commentsViews: 1058
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नजीर मलिक

सिद्धार्थनगर। पंचायत चुनावों के खत्म होते ही विधानसभा चुनावों की तैयारिया शुरू हो जायेंगी। तमाम राजनैतिक दल विधानसभा चुनाव की तैयारियों में लग जाएंगे। उनका प्रथम काम अपनी हारी हुई सीटों का आंकलन कर उसमें पुराने उम्मीदवार की बहाली अथवा नये चेहरे को लाने पर खास ध्यान का काम शुरू हो जायेगा। इस लिहाज समाजवादी पार्टी के लिए जिले की सभी पांच विधान सीटों का अवलोकन शुरू हो जायेगा। इनमें इटवा को छोड़ अन्य चार सीटों पर सभा अध्यक्ष अखिलेश यादव की पूरी नजर रहेगी। इसमें भी सदर (कपिलवस्तु) की सीट होने के कारण कपिलवस्तु िविधधाानन सभा क्षेेत्र बेहद महत्वपूर्ण है और सपा इसे अवश्य ही जीतना चाहेगी। तो आइये देखते हैं कि क्या होने वाला है सदर सीट पर?   

इस बार हैं कई दावेदार

गत चुनाव में विजय पासवान की करारी हार से सदर सीट से चुनाव ल्ड़ने केलिए कई दावेदार तैयार हो गये हैं। इनमें एक विजय पासवान तो हैं ही, इसके अलावा कन्हैया प्रसाद कनौजिया व प्रदीप पथरकट हैं जो टिकट के लिए अभी से पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। एक रिटायर्ड अधिकारी  भी यहां से चुनाव लड़ने का मन बना रहे हैं। कन्हैया कनौजिया एक रिटायर्ड दारोगा हैं। वर्तमान में उनका बड़ा कारोबार है। वे अखिलेश यादव से मिलाये भी जा चुके हैं। सूत्र बताते हैंकि अखिलेश यादव ने उन्हें काफी तवज्जह भी दिया है।

पूर्व विधायक विजय पासवान को चुनौती देने वाले दूसरे नेता प्रदीप पथरकट हैं। वे अपनी विरादरी के संगठन के प्रांतीय पदाधिकारी भी हैं। वे पड़ोस की शोहरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र के निवासी है और एक बार चुनाव लड़ कर अपनी माता जी को ब्लाक प्रमुख भी बना चुके हैं। खुद भी जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीत  चुके हैं। यह दोनों नेता अरसे से कपिलवस्तु सीट पर काफी सक्रिय हैं और यहां से 2012 का चुनाव जीतने वाले पूर्व विधायक विजय पासवान को तगड़ी चुनौती देने में लगे हैं। इन्हें सपा के ही एक वरिष्ठ नेता का वरदहस्त है जिनकी अखिलेश दरबार में काफी पकड़ भी है।

जहां तक पूर्व विधायक विजय पासवान का सवाल है, वह 2012 का चुनाव सपा की लहर और अपने भाई स्व. स्वारथ पासवान कमौत से उत्पन्न सहरनुभति के नाम पर आसानी से जीत गये थे।  परन्तु  2017 में न सपा की लहर थी और न भाई की सहानुभूति की लहर, अतः वे बहुत बड़े अंतार से चुनाव हार गये। तब से लेकर वे क्षत्र में उपसित तो रहते है, मगर वर्करों का आरोप है कि वे पार्टी कार्यकर्ता के बजाए खुद के वफादारों को लेकर चलते हैं। इसलिए जनता में उनकी जड़ें अपेक्षाकृत मजबूत नहीं हो पातीं। इसके बावजूद विजय पासवान का शुमार गैरविवादित नेताओं में होता है। लेकिन राजनतिक पैंतरेबाजी में वह उतने सफल नहीं हैं, जितना की आज की जरूरत है।।

कपिलवस्तु सीट पर सपाइयाेंं केे तीन मत

फिलहाल इन तीन दावे दारों को लेकर जिले के सपाइयों में तीन मत हैं। एक वर्ग जहां प्रदीप पथरकट का समर्थक दिखता है, वहीं दूसरा वर्ग कन्हैया कनजिया के पक्ष में। पूर्व विधायक विजय पासवान का समर्थन करने वाला वर्ग तो पहले से है ही। अब यह गुटबंदी विधानसभा चुनाव में क्या गुल खिलायेगी, इस सवाल का बेहतर हल निकालना समाजवादी पार्टी की अहम प्राथमिकताओं में है।

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