26 राज्यों सहित देश-विदेश के साहित्यकारों का हुआ समागम, साहित्य पर हुआ चितंन
एम. आरिफ
इटवा, सिद्धार्थनगर। सिद्धार्थ तथागत कला साहित्य संस्थान की तत्वाधान में बुद्ध की धरा पर कई देशों सहित भारत के 26 राज्यों के साहित्यकारों का समागम एक ही मंच पर हुआ। नेपाल, भूटान व कनाडा से आए साहित्यकारों ने वर्तमान स्थिति पर चिन्ता व्यक्त करते हुए साहित्य के प्रति लोगों में प्रेम पैदा करने पर जोर दिया। साहित्यकारों का कहना था कि साहित्य के माध्यम से समाज को एक नई दिशा दी जा सकती है। इसलिए इसके प्रति सभी में प्रेम जरूरी है।
इटवा में स्थित ब्लाक संसाधन केन्द्र परिसर में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय तथागत सम्मान समारोह के दौरान सभी ने साहित्य के वर्तमान परिवेष पर बेबाकी से अपनी राय रखी । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केन्द्रीय वक्ब बोर्ड चेयरमैन डा० दरखसा अंदराबी ने कहा कि वर्तमान में सभी को सहित्य की जरूरत है। सभी को साहित्य के जोड़कर समाज में व्यापक परिवर्तन लाया जा सकता है। इसके लिए हम सभी को संयुक्त रूप से प्रयास करने की जरूरत है।
कार्यक्रम के संयोजक वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ.भास्कर शर्मा ने सभी साहित्यकारों स्वागत करते हुए उनके प्रति आभार व्यक्त किया। और उन्होंने कहा कि इस तरीके का कार्यक्रम मै करता आय हूँ और करता रहूँगा जिससे कि साहित्य की दिशा व दशा सुधार के लिये सभी को मंच प्रदान किया जायेगा। इससे साहित्य की स्थिति को मजबूत बनाया जा सकेगा।
सम्मान समारोह में कार्यक्रम का अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ सहित्यकार डा० राजेन्द्र परदेसी एवं विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ भागलपुर के अधिष्ठाता पूर्व प्राचार्य डा़. योगेन्द्र नाथ शर्मा अरूण, प्रो. सरन घई, डा. योगेन्द्र नाथ शर्मा, जनाब मोबिन खान, प्रो. शरद नरायण खरे, श्री रिन्जीन रिन्जीन, डा. देवेन्द्र नाथ शाह, शैलेन्द्र कुमार भाटिया, अष्टभुजा पाण्डेय. हरिहर सिंह, डा. मालिक इकबाल युसुफ, डा. फूलचन्द गुप्ता आदि सहित्यकारों ने सहित्य के विषय पर बेबाकी से अपनी राय रखी ,
समारोह में इन साहित्यकारों को किया गया सम्मानित
समारोंह के दौरान डा. सुरेश उजाला, डा. नीलम, डा. पंडित बन्ने, डा. विजय कुमार, श्री किशोरे श्रीवास्तव, डा. दिग्विजय शर्मा, डा. मधुसूदन , सुश्री जयंती मुखिया, प्रो नीलम खरे, रिजवान अहमद, उर्मिला घिसिंद, डा. ठाकुर प्रसाद चौबे, सुश्री सुशीला पूरी, डा़. योगेन्द्र नाथ शर्मा अरूण, प्रो. सरन घई, डा. योगेन्द्र नाथ शर्मा, जनाब मोबिन खान, प्रो. शरद नरायण खरे, श्री रिन्जीन रिन्जीन, डा. देवेन्द्र नाथ शाह, श्री शैलेन्द्र कुमार भाटिया, श्री अस्टभुजा पाण्डेय, श्री हरिहर सिंह, डा. मालिक इकबाल युसुफ , डा. फूलचन्द गुप्ता आदि साहित्यकारों को मुख्य अतिथि डा० दरखसा अंदराबी द्वारा प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिन्ह और शाल भेंट किया।