दूसरे दौर के सैलाब ने मचाई तबाही, सभी नदियां खतरे के पार, राहत बचाव पर सवाल?

August 27, 2021 5:16 PM0 commentsViews: 793
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— परसोहन मार्ग पार कर भर पानी, तीस हजार आबादी प्रमुख कस्बा बिस्कोर के सम्पर्क से कटी

—- अब तक हो चुकी हैं तीन मौतें, शरणालयों से कर्मी नदारद, कई गांव एक सप्ताह से पानी से घिरे

नजीर मलिक

बांसी में राप्ती की बाढ़ में घिरा मकान और कार, डुमरियागंज क्षेत्र में डूब रहे युवक को बचाते ग्रामीण

सिद्धार्थनगर। जिले में सलाब ने अपने डैने पूरी तरह फैला दिये हैं।  जिने की सभी प्रमुख नदियों के लाल निशान से ऊर या उसके निकट पहुंच जाने से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लगभग 200 गांव की 3.5 लाख आबादी सैलाब के चुंगल में जकड कर कराह रही है।  राप्ती व बूढ़ी राप्ती के बाद, कूड़ा नदी ने भी लाल निशान पार कर लिया है। इसके अलावा तेलार, बानगंगा व जमुआर भी खतरे के निशान की ओर तेज से भाग रही हैं।  प्रशासन के पास बचाव के नाम पर मात्र 72 छोटा नावें अैर 42 शरणालय हैं। लेकिन अधिकांश पर से राजस्कर्मी लापता हैं। कुल मिला कर बाढ़ पीड़ितों के हालात खराब हैं। जबकि पहाड़ों पर हो रही निरंतर बाशि के कारण अभी हालत और भी बिगड़ने की आशंका है।


डेनेज विभाग की शुक्रवार सुबह की रिपोर्ट के अनुसार कूडा नदी आलमनगर पुल पर डेंजर लेबिल 87.200 पर पहुच गई है। हालांकि दो दिन से उसके घट जाने से बाढ़ प्रभावित 50 गांवों को रहत मिली थी परन्तु उसके पुनः बढ़ जाने से उन क्षेत्रों में दोबारा खतरा पैदा हो गया है। इसी प्रकार राप्ती का बढ़ाव निरंतर जारी है। राप्ती का जलस्तर खतरा बिंदु  84.900 मी के सापेक्ष बढ़ कर 85.560 मी. पर पहुंच गया है।  इस प्रकार वह लाल निशान से 70 सेमी. ऊपर है। जबकि बूढ़ी राप्ती नदी बीते 24 घंटों में 85.650 मी के सापेक्ष 86.380 मी. पर बह रही है। इसके अलावा जिले की बानगंगा, तेलार, घोघी, जमआर नीदी के जलस्तर में लगतार वृद्धि हो रही है। इससे बाढ़ प्रभावित ग्रामों की तादाद लगभग 350 तक पहुंच गई है। इससे लगभग साढे तीन लाख आबादी प्रभावित हुई है। अब अब तक तीन मौतें हो चुकीं है तथा सौ से अधिक पशु मर चुके हैं।

हमारे डुमरियागंज, शोहरतगढ़ प्रतिनिधियों के मुताबिक हैं कि राप्ती व बूढ़ी राप्ती आशा के विपरीत काफी तेजी से बढ़ रही है जिससे कछार इलाकों में लगता है प्रलय आ गया है।  राप्ती के जलस्तर में लगातार वृद्धि से जिले की सभी पांच तहसीलों में कहर बरपा है। इनमें लगभग सौ  गांवों की हालत अत्यंत दयनीय है। प्रशासन की सक्रियता का आलम यह है कि  डुमरियागंज तहसील का ग्राम बगहवा जो पहले दिन से ही सैलाब से घिरा है, अभी तक मैरून्ड नहीं घोषित किया जा सका है। यही हालत पिकौरा, भरवठिया, मछिया, पेड़ारी आदि गांवों की है। जहां के अनेक ग्रामीण घरों की छतों पर प्लास्टिक तान कर रह रहे हैं, मगर प्रतिदिन की बरसात उन्हें वहां भी सुकून नहीं लेने दे रही है। यही हालत शोहरतगढ़ तहसील के मझवन, भुतहिया, भुतहवा आदि गांवों की भी है।

इसी प्रकार हमारे बांसी, व इटवा प्रतिनिधियों के अनुसार दोनों तहसीलों के सैकड़ों गांवों में तबाही के निशान गंभीर होते जा रहे हैं। इटवा के असनहरा माफी, परसोहन, इमिलिया, डुमरियागंज के नेबुआ बड़हरा, बेतनार, उस्का के रीवां, अमरिया, नटवा, मारूखर, हथवड़ ताल, अजगरा, पटखैली मजगंवां आदि गांवों में कोई लेखपाल नहीं पहुंचा है। गांव के लोग राहत सामग्री न मिलने की बात कर रहे हैं। लाग अपनी निजी नावों से काम चला रहे हैं। प्रशासन ने अब तक बाहर से नावें नहीं मंगाई हैं।राप्ती नदी से प्रभावित ग्राम बंगरा के बरखू कहते हैं कि तमाम घरों में खाने के लिए अनाज नहीं है। बाढ़ में मजदूरी का काम मिलता नहीं है। ऐसे में गरीब और मजदूर केवल जिले से मदद की राह देखने को मजबूर है। इसके विपरीत जिला प्रशासन का दावा है कि गांवों में प्रशासन यथाशक्ति राहत और बचाव का प्रयास कर रहा है।

इटवा हमारे इटवा प्रतिनिधि ससे मिली अभी अभी जानकारी के अनुसार बूढ़ी राप्ती नदी के बढ़ाव के कारण कारण उत्तर दिशा मे बसे परसोहन से इमिलिया जाने वाले मार्ग पर बाढ़ के पानी से सड़क पर गॉंठ से ऊपर कमर तक पानी चल रहा है। इससे नदी उस पार के लोगों को बिस्कोहर सामान इत्यादि लाने ले जाने हेतु आवागमन बन्द हो गया है। नौडिहवा कोहल पहाड़पुर लमुइया बसन्तपुर लमुइयाडिहवा बेलभरिया बल्देवनगर मनिकौरा रतनपुर विजयनगर गनेशपुर पचपेड़वा आदि सहित लगभग सैकड़ों के लोगों का बिस्कोहर इटवा आदि जगहों से सम्पर्क टूट गया है और न्रभग ३० हजार कह आबादी के बिस्कोहर कस्बे से सम्पर्क टूट गया है। लेकिन इन बाढ़ पीड़ितों के लिए प्रशासन से कोई मदद नहीं मिल पा रही है। हर तरफ से राहत और बचाव के लिए चीख पुकार मची हुई है। इन गाँवों के लोगों का गुज़र बसर अब केवल रामभरोसे होकर रह गया है ।

 

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