इटवा के अलावा शेष चारों विधानसभा सीटों पर टिकट के दावेदारों में होगी कड़ी टक्कर

June 14, 2021 12:37 PM0 commentsViews: 2908
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पूर्व विधायक अनिल सिंह  फिर से सपा में शामिल होने के लिए तैयार, जल्द ही करेंगे पार्टी ज्वाइन

 

नजीर मलिक

पूर्व विस अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय, जिलाध्यक्ष लालजी यादव, उग्रसेन सिंह व चमन आरा राइनी राजनीतिक विमर्श करते हुए।

सिद्धार्थनगर। यूपी विधानसभा के चुनाव का एलान इस वर्ष दिसम्बर में हो जाना है। बाद के डेढ़ महीनों में मतदान व नई विधानसभा का गठन होना ही शेष रहेगा। साफ सा अर्थ है कि अब टिकट के दावेदारों की हलचलें परवान चढने लगीं हैं। इस बार सिद्धार्थनगर जिले में समाजवादी पार्टी से कुछ अधिक दावेदार सक्रिय है। जानकार तो यहां तक कहते है कि इटवा विधानसभा क्षेत्र को छोड़ कर शेष सभी चार सीटों पर इस बार टिकट के लिए कड़ी टक्कर होने वाली है।

जिले की इटवा विधानसभा क्षेत्र सपा के दिग्गज नेता माता प्रसाद पांढेय की परम्पागत सीट है। उनका राजनीतिक कद इतना बड़ा है कि न तो सपा में कोई उनका टिकट काटने वाला है और न ही इटवा में कोई उनके मुकाबले दावेदारी करने वाला है। जिस राजनीतिक हस्ती से अखिलेश यादव खुद राजनीतिक मंत्र प्राप्त करते हों उनके टिकट कटने के बारे में कल्पना भी नहीं की जा सकती।

सदर विधानसभा क्षेत्र का माहौल

जिला मुख्यालय की विधानसभा सीट होने के कारण कपिलवस्तु विधानसभा सीट का महत्व कुछ अधिक ही है। अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व होने के बाद सन 2012 में यहां से सपा के विजय पासवान विधायक थे। मगर 2017 में वह भाजपा के सजातीय उम्मीदार से चुनाव हार गये थे। इसके बाद से यहां से प्रदीप पथरकट्ट और कन्हैया कन्नौजिया ने दावेदारी ठोंकी। अभी हाल में एक और चेहरे प्रदीप पासवान की दावेदारी भी सामने आई है।  बताया जाता है कि इन तीनों की सपा के बड़े नेताओं ने पीठ ठोक रखी है। हालांकि विजय पासवान को इस बात का यकीन है कि जब समय आयेगा तो टिकट उन्हीं का फाइनल होगा,  मगर राजनीतिक वरदहस्त पाये तीनों नये दावेदार यदि क्षेत्र में घूमने के साथ लखनऊ तक के कुलाबे नाप रहे हैं तो कही न कहीं गड़बड़ी की आशंका स्वाभाविक ही है।

सीमाई विधानसभा सीट शोहरतगढ़

नेपाल सीमा से सटकर बानी सीट शोहरगतगढ़ में हालात आसामान्य दिख रहे हैं। इसी सीट से पिछला चुनाव उग्रसेन सिंह भाजपानीत गठबंधन के प्रत्याशी से चुनाव हार गये थे। इससे पूर्व इस सीट से उनके पिता व माता निर्वाचित होते थे। हालांकि उग्रसेन को सपा की महिला नेता जुबैदा चौधरी ने कड़ी टक्कर दी थी। उनके टिकट की घोषण भी हो गई थी। परन्तु फिर उसे बदल कर उग्रसेन सिंह को दिया गया। बहराहाल इस बार उग्रसेन सिंह के बाद जुबैदा की सक्रियता दिखती है। मगर बीच में पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष जमील सिद्दीकी भी दावेदार बन कर आ गये। अब हाल में पता चला है कि सपा के एक पूर्व विधायक अनिल सिंह जो इस समय दूसरे दल में थे,  फिर से सपा में आ रहे हैं। उनका सपा में आने का मकसद टिकट ही होगा और कोई भी पुराना नेता बिना कोई बात तय किये यूं ही दल नहीं छोड़ता। बहरहाल इन हालात से उग्रसेन सिंह की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं।

जिला अध्यक्ष की पारम्पिरिक सीट बांसी

पिछले वर्ष प्रदेश भर के जिलाध्यक्षें की सूची घोषित करते हुए अखिलेश यादव ने साफ एलान किया था कि किसी भी जिलाध्यक्ष को चुनाव में टिकट नहीं दिया जाएगा। इस घोषणा के बाद वहां भी दावेदारों की भीड़ देखी जा रही है। इस सूची में सबसे पहला नाम पूर्व नगर पालिक चेयर मैन चमनआरा राइनी का है। वह लडाकू और जनाधार वाली महिला है। उनके पति वर्तमान में नगर पालिका परिषद बांसी के चेयरमैन हैं। अगर पूर्व निणर्य के अनुसार जिलाध्यक्षों को टिकट न देने की नीति बरकरार रहती है तो चमनआरा के बाद एक और नाम चर्चा में देखा जा रहा है वह है कमाल खान का। इसके अलावा कुछ ब्राह्मण नेता भी इस सीट पर नजर गड़ाये हुए हैं। हालांकि लाल जी के बाद चमनआरा को ही सर्वाधिक जनाधार वाली नेता माना जा रहा।

जिले की हाट सीट डुमरियागंज

जिले की सबसे हाट विधानसभा सीट डुमरियागंज में 2012 से पहले तक आम तौर पर कमाल युसु्फ मलिक पाते थे। 2012 वे टिकट की तैयारी कर ही रहे थे कि पार्टी की कमान अखिलेश यादव के हाथ में आ गई।  37 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम आबादी वाली इस सीट से अखिलेश यादव ने कमाल यूसुफ का टिकट काट कर चिनकू यादव को उम्मीदवार बनाया। इससे दुखी होकर वह शिवपाल यादव के साथ हो लिए। चिनकू यादव 2017 में भी सपा के उम्मीदवार रहे। मगर दोनों बार उन्हें चुनाव हारना पड़ा। गत चुनाव में तो सपा यहां शर्मनाक तरीके से तीसरे नम्बर पर चली गई। इसके बाद से कई नेताओं ने अखिलेश को समझाना  शुरू किया। इस सीट से मुस्लिम प्रत्याशी ही उतारना ठीक रहेगा। सूत्र बताते हैं कि इसके बाद भाजापा से मात्र गिनती के वोट से हारी बसपा की सैयदा खातून ने अखिलेश से सम्पर्क साधना शुरू कर दिया जो अब तक जारी है। यही नही कमाल यूसुफ को उम्मीद है कि इस चुनाव में अगर अखिलेश शिवपाल में समझौता हुआ तो इस सीट से उन्हें निश्चित ही टिकट मिलेगा।

तो यह है विधानसभा क्षेत्रों के ताजा अपडेट। सभी दोवेदार अभी से सक्रिय हैं। इसके लिए वे सपा हाईकमान से हर संभव जुगत भिड़ाने की फिराक में हैं। अखिलेश के बंगले पर दावेदार अपनी अपनी टीम बना कर भेज रहे हैं। अब इसमें कौन कितना कामयाब होगा यह तो वक्त ही बतायेगा। परन्तु इतना तो तय है कि दावेदारी में टक्कर इतनी कड़ी होगी कि फैसला कठिनता से ही होगा।

 

 

 

 

 

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