अखिलेश की बैठक में सिद्धार्थनगर सपा गुटबाजी और मुस्लिमों की निराशा खुल कर दिखी

August 24, 2018 4:09 PM0 commentsViews: 2471
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नजीर मलिक

सिद्धार्थनगर। सपा अध्यक्ष द्धारा लखनऊ में आयोजित सिद्धार्थनगर के  सपाइयों की बैठक में उसकी मजबूती की पोल खुल गई। वहां मौजूद अखिलेश यादव ने पार्टी के गुटबाजी और अंतर्विरोध को खुल कर देखा, मगर वे इस समस्या का  हल निकालने में असफल रहे। इससे निष्ठावान व स्वार्थ से परे रहने वाले सपाइयों का बड़ा गुट बेहद निराश है।वह मुसलमानों के मुद्दे पर अखिलेश के व्यवहार को भविष्य के लिए अच्छा नहीं मान रहे हैं।

खबर है कि जिले में अभी हाल में आयोजित सपा की साइकिल रैली पर लम्बी चौड़ी गुफ्तगू हुई। एक गुट उसे फलाप बता रहा था तो दूसरा गुट पहले वाले गुट का सहसोग न मिलने की बात कह रहा था। अखिलेश यादव जिकी राय से ही सह प्रोग्राम तय  हुआ था,  उन्होंने इस रैली से दूर रहने वालों को एक  शब्द  नहीं कहा। जिसके निहितार्थ समझे जा सकते हैं।

अल्पसंख्यक चिंतित हैं

कल लखनऊ की बैठक में सपा नेता डा. अफरोज अहमद ने अखिलेश यादव की बैठक में कहा कि जिले में सपा नेताओं की उपेक्षा के कारण  सिद्धार्थनगर के अल्पसंख्यक निराश हैं और वो सपा से दूरी बना रहे हैं। इस पर भी अखिलेश ने ध्यान नहीं दिया। बाद में बैठक से निकलने के बाद इस मुद्दे पर काफी तम तम मै मै भी हुई।

इसी तरह  एक महिला नेता ने कुछ कहने का प्रयास किया तो उन्होंने उसे पढी लिखी न होने की बात कह कर बैठ जाने को कहा। यह बेहद अदूरदर्शी भाषा है, जिसे कोई भी जस्टीफाई नही कर सकता। उनकी इस अनदेखी से अल्पसंख्यक नेता निराश हुए। इसका खुलासा क्षेत्र में ज्यों ज्यों हो रहा है,  लोग सपा को कोस रहे हैं। वहां एक वर्ग विशेष की बातें ध्यान से सुनी गईं।

तीन गुटों में रही रस्साकशी

अखिलेश की बैठक में जो लोग गये थे, उनमें तीन लोगों के समर्थक मौजूद थे। एक पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद के समर्थक उसके बाद अलोक तिवारी व चिनकू यादव के समर्थक।  इसमें चिनकू  यादव के समर्थकों  की तादाद ज्यादा थी। उनके समर्थक मुखर भी थे।

वहां बैठक में  यह  साफ लगा की सभी गुटों में दूरियां अधिक हैं। बैठक में अखिलेश  यादव ने लोगों से पार्टी के लिए एक जुट होकर काम करने का आदेश तो दिया, मगर कई मुद्दों की वह उपेक्षा करते रहे। एक  मुस्लिम नेता ने बताया कि अखिलेश की भाव भंगिमा देख कर लगा कि जैसे इस जिले के मुसलमानों की  सोच की  उन्हें कोई परवाह भी नहीं है। उनहें 30 फीसदी मुस्लिम आबादी वाले इस जिले में मुस्लिम नेतुत्व की कोई चिंता ही नहीं है। अगर यह सच है तो  यह  सच्चाई जिले के अगले चुनाव में सपा  को भारी पड़ सकती है।

 

 

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