हमें संविधान की भाषा नहीं, उसकी मूल आत्मा पहिचानना होगा- डा. अर्जुन मिश्र

November 27, 2019 11:37 AM0 commentsViews: 161
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निजाम अंसारी

शोहरतगढ़, सिद्धार्थनगर। शिवपति महाविद्यालय मे 70वे संविधान दिवस के अवसर पर गत दिवस एक गोष्टी का आयोजन हुआ। कार्यक्रम की शुरूआत  दीप प्रज्जवलन तथा मा सरस्वती को पुष्प अर्पित करने से हुई।एक नयी परम्परा के रूप मे छात्र -छात्राओं को भी दीप प्रज्जवलन तथा पुष्पांजलि अर्पित करने के लिए बुलाया गया। गोष्ठी में कहा गया कि हमें संविधान की लिखावट नहीं उसकी आत्मा पर ध्यान देना होगा।

इस अवसर पर मुख्य वक्ता राजनीति शास्त्र के विभागाध्यक्ष डा अर्जुन मिश्र ने 2015से 26नवंबर को संविधान दिवस मनाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया।संविधान से शासक और शासित दोनों बधे होते है।संविधान एक जड़ दस्तावेज मात्र नहीं है वह निरंतर पुष्पित तथा पल्लवित होता रहता है।मात्र कानून की लिखावट पर नहीं उसकी आत्मा पर भी ध्यान देना होगा।संविधान इस पर भी निर्भर करता है की प्रथायें, परंपराएं कैसी है, संविधान का निर्वचन न्यायपालिका कैसे करती है। संविधान अधिकार और कर्तव्यों का दस्तावेज है।अधिकार और कर्त्तव्य एक दूसरे के पूरक हैं। एक के बिना दूसरा अधूरा है।यह हमारे लिए गौरव की बात है कि हमारा संविधान निरंतर पुष्पित और पल्लवित हो रहा है जब हमारे देश के बगल मे ही लोकतंत्र मुरझा गया।

गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे प्राचार्य अनिल चंद प्रताप ने सभी के प्रति आभार प्रकट किया। कार्यक्रम में  डा अजय श्रीवास्तव, डा अमित सिंह, डा रामकिशोर सिंह, डा उमाशंकर यादव, प्रतीक मिश्र आदि उपस्थित रहे। संचालन अर्थशास्त्र के डा. अरविंद सिंह ने किया। कार्यक्रम मे साक्षी चतुर्वेदी, महक,पूजा चौधरी, रामू,शिवम मदे्शिया, सत्मम त्रिपाठी, गोविंद चंद पांडेय, मिनाक्षी चतुर्वेदी आदि छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया।

 

 

 

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