डुमरियागंज सीटः  भाजपा, सपा दोनों बेचैन, दोनों की निगाहें बसपा की रणनीति पर टिकीं

April 17, 2024 2:05 PM0 commentsViews: 1022
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नजीर मलिक

बसपा प्रत्याशी ख्वाजा शमसुद्दीन

सिद्धार्थनगर। डुमरियागंज संसदीय सीट पर बसपा की निष्क्रियता ने दोनों राजनीतिक दलों सपा और भाजपा को बेचैन कर रखा है। इसका कारण बसपा की प्रत्याशिता को लेकर फैला भ्रम बताया जाता है। जबकि उक्त दोनों दलों के प्रत्याशी बसपा उम्मीदवार को लेकर प्रतीक्षा में है, क्योंकि उसकी पोजिशन साफ होने के बाद ही उन्हें अपनी रणनीति बनाने में सुविधा मिलेगी। लेकिन बसपा है कि वह अभी ‘तू डाल़-डाल, मै पात-पात’ की तर्ज पर चल रही है।

इस सीट पर सपा और भाजपा के प्रत्याशी घोषित होने के कारण राजनीति गरमाई हुई है। भाजपा प्रत्याशी व सांसद जगदम्बिका पाल और सपा प्रत्याशी व पूर्व सांसद कुशल तिवारी की अति सक्रियता ने अभी से माहौल को चुनावी रंग में रंग दिया है। दोनों अपने अपने तरीके से जनता से सम्पर्क और वोटों की गोलबंदी में जुटे हुए हैं। लेकिन अभी तक बसपा प्रत्याशी का कहीं अता पता नहीं है। जबकि पार्टी के एब बड़े नेता द्धारा अनौपचारिक तौर पर बसपा से ख्वाजा शमसुद्दीन के नाम का एलान हो चुका है, लेकिन बसपा हाई कमान द्धारा अभी अधिकृत एलान किया जाना बाकी है।

जिले के राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार ख्वाज शमसुद्दीन के नाम की अनौपचारिक घोषणा के बाद भी उनका इस क्षेत्र में सक्रिय न होना राजनीतिक हल्कों में चल रही इस चर्चा को बल देता है कि उनकी प्रत्याशिता अभी संदेह के घेरे में है। साथ ही इस खबर को बल मिलता है कि पूर्व विधायक अमर सिंह चौधरी अभी उम्मीदवारी की दौड़ में बने हुए है। इसमें सच क्या है, इस बारें मेंजिले का कोई बसपा नेता अधिकृत तौर पर कुछ बताने को तैयार नहीं है। पता चला है कि अपने नाम के अनौपचारिक एलान के बाद ख्वाजा शमसुद्दीन ईद के आस पास एक दिन के लिए जिले में आये थे, मगर उन्हें यहां मुसलमानों में कोई रिस्पांस नहीं मिला। इसलिए बसपा के ही सूत्र बताते है कि वह चुनाव से पीछे हट रहे हैं। इसके अलावा इसी घटना के बाद से बसपा के टिकट की दावेदारी को लेकर अचानक अमर सिंह सुर्खियों में आ गये और अभी तक बने हुए हैं। लेकिन असलियत क्या है, कोई कुछ बता नहीं पा रहा है।

उधर सपा और भाजपा के प्रत्याशियों की परेशानी यह है कि बसपा का प्रत्याशी अधिकृत तौर पर घोषित न होने से उन्हें अपनी भावी चुनावी रणनीति बनाने में परेशानी हो रही है। मसलन अगर ख्वाजा शमसुद्दीन प्रत्याशी बनते हैं तो सपा प्रत्याशी को अपने मुस्लिम बोट बैंक पर नजर रखनी पड़ेगी तथा यदि अमरसिंह चौधरी को टिकट मिलता है तो भाजपा प्रत्याशी को अपने कुर्मी वोट बैंक की घेराबंदी करनी पड़ेगी। अब इसमें अधिकृत प्रत्याशी कौन बनेगा, पूरे संसदीय क्षेत्र की नजर इसी बिंदु पर टिकी हुई है।विश्लेषकों का कहना है कि शमसुद्दीन की प्रत्याशिता सपा के लिए खतरे की घंटी हो सकती है तो प्रत्याशी बनने पर अमर सिंह भाजपा की जड़ें खोखली कर सकते हैं।

 

 

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