यूपी चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी में बढ़ती जा रही टिकट के दावेदारों की तादाद

July 22, 2021 12:31 PM0 commentsViews: 1458
Share news

नजीर मलिक

सिद्धार्थनगर। विधानसभा के चुनाव में कुछ ही महीने रह गये हैं। ऐसे में चुनाव लड़ने की इच्छा वाले नेताओं की सक्रियता बढ़ गई है। सभी प्रमुख दलों के नेता अपने सरपरस्तों को लेकर टिकट पाने की रणनीति बनाने और दावेदारी साबित करने में लग गये हैं। मगर इस बार के चुनावों में सपा से टिकट मांगने वालों की तादाद अपेक्षा से अधिक है। उनकी टिकट के लिए दावेदारी की हलचलें जोरों पर हैं। एक एक विधानसभा क्षेत्रों से औसतन आधा दर्जन मजबूत दावेदार अधिकृत तौर समने आ चुके हैं।

याद रहे कि 2017 विधनसभा चुनाव के समय के दौरान समपा की सरकार थी। इसके बावजूद जिले के पांच विधानसभा क्षेत्रों में केवल शोहरतगढ़ व डुमरियरगंज विधानसभा क्षेत्र से मात्र दो दो नेताओं ने टिकट के लिए दावेदारी जताई थी। इसके अलावा इटवा, बांसी व कपिलवस्तु क्षेत्र से मा़त्र एक एक दावेदार ही थे। मगर इसबार ऐसा नहीं है। इस बार अखिलेश यादव ने अधिकृत दावेदारी के लिए फीस तय कर दी है। टिकट के लिए फार्म भरने वालों को अब पार्टी फंड के लिए 20 हजार रुपये जमा करना होगा तथा 20 हजार रुपये समाजवादी बुलेटिन के अजीवन सस्यता के लिए जमा करने पड़ते हैं।

इस प्रकार केवल दावेदारी का फार्म जमा करने के लिए 40 हजार और यात्रा व्यय मिला कर कुल पचास हजार खर्च करना पड़ेगा। जाहिर है कि ऐसे में चुनाव लड़ने के इच्छुक गंभीर लोगों ने ही फार्म भरा होगा। दावेदारी के लिए 40 हजार की रकम खर्च करने के नियम के बावजूद सिद्धार्थनगर की पांच सीटों पर दावेदारों की कमी नहीं है। फिर भी यहां की पांच सीटों के लिए लगभग 20 अधिकृत दावेदार सामने आ चुके हैं। जो टिकट पाने के लिए येन केन प्रकारेण हर प्रकार का जोर लगा रहे हैं। वे सभी दावा भी करते हैं कि टिकट अन्ततः उन्हीं को मिलेगा।

शोहरतगढ़, बांसी में सर्वाधिक दावेदार

दावेदारों की सबसे बड़ी तादाद शोहरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र में देखी जा रही है। इनमें पूर्व प्रत्याशी उग्रसेन सिंह, मो.जमील सिद्दीकी, जुबैदा चौधरी तथा डा. सरफराज अंसारी हैं। इसके अलावा पूर्व राज्यसभा सांसद आलोक तिवारी व दूसरे दल के एक वर्तमान विधायक भी दावेदार है। जो अखिलेश यादव की हरी झंडी मिलने के इंतजार में हैं।

इसके अलावा बांसी से सपा के जिलाध्यक्ष व पूर्व विधायक लालजी यादव अकेले उम्मीदवार हुआ करते थे। परन्तु जिलाध्यक्षों को टिकट न दिये जाने के अखिलेश एलान के बाद वहां भी कई दावेदार खड़े हो गये हैं। जिनमें सबसे पहला और मजबूत नाम नगरपालिका की निवर्तमान अध्यक्ष चमनआरा राइनी हैं। असके अलावा मोनू दुबे, विभा शुक्ला, कमाल खान के अलावा स्वयं जिलाध्ध्यक्ष लालजी यादव हैं। परन्तु यदि अखिलेश नीति कायम रही तो जिलाध्यक्ष लालजी यादव के स्थान पर उनके परिवार से कोई सदस्य भी हो सकता है। कुल मिला कर यहां भी पांच दावेदार हैं।

इटवा, डुमरियागंज कपिलवस्तु सीट

जहां तक इटवा सीट का सवाल है वहां से सपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसद अकेले दावेदार ही नहीं लगभग उम्मीदवार भी हैं। परन्तु उससे सटी डुमरियागंज सीट पर पूर्व प्रत्याशी राम कुमार चिनकू यादव की सशक्त दावेदारी है। मगर राजनीतिक हल्कों में इस बात की चर्चा है कि 38 प्रतिशत मुस्लिम वाले इस क्षेत्र में अखिलेश यादव पूर्व की गलती सुधार कर पुनः किसी मुस्लिम को टिकट देने जा रहे हैं। इसके बाद वहां से तीन अन्य चेहरों की दावेदारी सामने आ गई है। इसमें सपा नेता फरहान खान  के अलावा मुम्बई के सफल कारोबारी, समाजसेवी व स्थानीय निवासी अफरोज मलिक हैं जो दावेदारी का प्रपत्र भरने लखनऊ जा रहे हैं। इसके अलावा बसपा की एक नेता व व पूर्व सपा मंत्री और प्रसपा नेता मलिक कमाल यूसुफ भी हैं। यह दोनों अखिलेश की हरी झंडी अथवा शिवपाल से समझौते की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इसलिए उनका दावेदारी प्रपत्र अभी नहीं भरा जा सका है।

जहां तक कपिलवस्तु सीट का सवाल है इस सुरक्षित सीट पर सपा के पूर्व विधायक विजय पासवान का दबदबा कायम है। परन्तु यहां से बढ़नी ब्लाक के पूर्व प्रमुख के पुत्र प्रदीप पथरकट, कन्हैया कनौजिया व प्रदीप पासवान हैं। इन तीनों ने दावेदारी प्रपत्र भर रखा है। वे क्षेत्र में दौड़ भी रहे हैं। इन्हें सपा के तीन अलग अलग सपा नेताओं का समर्थन मिला हुआ है। अब सह भविष्य तय करेगा की सफलता किसे मिलेगी।

अधिक दावेदारी पार्टी की लोकप्रियता का प्रतीक़- लालजी यादव

इस बारे में सपा जिलाध्यक्ष लालजी यादव का कहना है कि सभी सीटों पर दावेदारों की बढ़ती तादाद यह साबित करती है कि पार्टी की लोप्रियता बढ़ रही है और चुनाव होने पर सपा की ही सरकार बनेगी। जहां तक उनके क्षेत्र में दावेदारों की संख्या का प्रश्न है इस पर उनका कहना है कि पार्टी में लोकतंत्र है। कोई भी कहीं से टिकट मांग सकता है। लेकिन फैसला राष्ट्रीय अध्यक्ष को ही करना है। हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष जो भी फैसला लेंगे वो हमको क्या सभी पार्टीजनों को स्वीकार होगा।

 

Leave a Reply