सपा के विंग जिलाध्यक्ष चलते है कार से और मनरेगा में करते हैं मजदूरी

November 22, 2016 5:33 PM0 commentsViews: 616
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एम.आरिफ

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इटवा, सिद्धार्थनगर। एक आदमी सत्ताधारी पार्टी के अल्पसंख्यक सेल का जिलाध्यक्ष हो और आने जाने के लिए निजी कार हो, फिर वह मनरेगा का मजदूर भी हो तो बात कुछ हजम नहीं होती। लेकिन सिद्धार्थनगर के समाजवादी पार्टी अल्पसंख्यक सेल के अध्यक्ष मौलाना मोईद के खाते में एक साथ दोनों उपलब्धियां दर्ज हैं। मौलाना मोईद यूपी विधान सभा अध्यक्ष के तहसील के निवासी हैं।

इटवा विकास क्षेत्र के ग्राम सेमरा निवासी मौलाना अब्दुल मोईद वर्तमान में सपा के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष हैं। जिनकी दिनचर्या व आवगमन भले ही कार से होती है, लेकिन इनका मनरेगा का जांब कार्ड भी बना हुआ है और विभागीय कर्मियों के रहमोकरम पर समय समय पर इनके खाते में मनरेगा के तहत मजदूरी भी भुगतान हुआ है।

जानकारी के मुताबिक ब्लाक द्वारा सेमरा से बढनी रोड को जोडने वाली सडक पर रसूलपुर तक कराये गये मिट्टी कार्य में सपा विंग अध्यक्ष मौलाना मोईद भी एक मजदूर के रूप में दर्ज हैं। सरकारी दस्तावेज के मुताबिक मस्टर रोल संख्या 5404, जाबकार्ड संख्या यूपी 51-002-016-001-131, आधार संख्या 84180408,  के हिसाब से उन्होंने 140 मानव दिवस काम करके 2254 रुपये का भुगतान लिया है।

दस्तावेज के मुताबिक इस कार्य की एमबी नम्बर 549 है। जिसका भुगतान भरतीय स्टेट बैंक शाखा झकहिया से लिया गया है। इसकी स्वीकृति 29 जनवरी 2016 में की गयी है। यूपी के विधानसभा अध्यक्ष के तहसील क्षेत्र में सपा नेता का यह गेम सार्वजनिक होने के बाद जनता में तहलका मचा हुआ है।

अध्यक्ष का आरोपों से साफ इंकार

इस बारे में कपिलवस्तु पोस्ट ने आरोपी और विंग जिलाध्यक्ष मौलाना मोईद अहमद से बात की तो उन्होंने सारे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा की यह सब झूठ है, लेकिन कपिलवस्तु पोस्ट ने जब उनसे पूछा कि अगर आप मजदूर नहीं थे, तो आपके बैंक खाते में पैसे कैसे पहुंचे और कैसे निकल गये। इस पर उनका कहना था कि वह कुछ नहीं जानते है बस इतना जानते है कि यह सब झूठ है।

अब सच क्या है, और झूठ क्या है? इसका पता तो जांच के बाद ही सामने आ सकता है। लेकिन सवाल है कि कार से चलने वाले अध्यक्ष जी मनेरगा के मजदूर बन तो गये, लेकिन उनके खाते  में से मजदूरी के पैसे दूसरा कैसे निकाल सकता है, इस सवाल का जवाब न वो दे रहें हैं न ही सत्ताधारी दल इस बारे में जांच की कोई मांग ही कर रहा है।

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