जातिगत व महिला हिंसा के खिलाफ पीपुल्स एलाएंस संगठन का एसडीएम को ज्ञापन

August 21, 2020 11:51 AM0 commentsViews: 145
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आरिफ मकसूद

डुमरियागंज, सिद्धार्थनगर। यूपी में हत्या, बलात्कार, लूट, भ्र्ष्टाचार, बदहाल कानून व्यवस्था के खिलाफ पीपुल्स एलाएंस संग़ठन की डुमरियागंज शाखा के कार्यकर्ताओं ने उपजिलाधिकारी डुमरियागंज को पांच सूत्रीय ज्ञापन देकर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया और कई प्रमुख घटनाओं का हवाला देकर उसमें न्यायसंगत कार्रवाई की मांग की गई।

ज्ञापन से पूर्व शाहरुख अहमद ने कहा कि उत्तर प्रदेश में जातिगत और महिला हिंसा की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। विभिन्न घटनाओं के प्रति सरकार व प्रशासन का रवैया भेदभावपूर्ण रहा है। आज़मगढ़ के ग्राम बांसगांव में सामंतों द्वारा दलित प्रधान की निर्मम हत्या कर दी गई। हत्या के बाद इंसाफ मांग रहे ग्रामवासियों पर लाठीचार्ज किया गया और एक किशोर को कुचल कर मार डाला गया।

प्रदेश सरकार ने दोनों के परिजनों को 5-5 लाख रूपये का मुआवज़ा देने का निर्देश दिया है। हालांकि वर्तमान सरकार ने ऐसे अन्य मामलों में 40-50 लाख रूपये का मुआवज़ा और सरकारी नौकरी तक दिया है। एक दलित जन प्रतिनिधि की हत्या के बाद यह नाइंसाफी भी जातीय भेदभाव की श्रेणी में आती है। सरकार की कोई मुआवज़ा नीति नहीं है।

अज़ीमुश्शान फ़ारूक़ी ने कहा कि गत दिनों प्रदेश के आज़मगढ़, लखीमपुर खीरी, गोरखपुर, सहारनपुर कई जनपदों में बलात्कार और हत्या की वीभत्स घटनाएं सामने आईं हैं। जनपद आज़मगढ़ के कस्बा मुबारकपुर में किशोरी के साथ बलात्कार कर हत्या कर दी गई। दलित, वंचित वर्ग के खिलाफ गाली–गलोच और मारपीट की घटनाएं निरंतरता से जारी हैं। इनमें से कई पुलिस थानों तक पहुंच ही नहीं पातीं और कई अन्य का तत्काल संज्ञान नहीं लिया जाता जिससे बड़ी घटनाओं का मार्ग प्रशस्त होता है।

इसके बाद राज्यपाल को दिया गया ज्ञापन एसडीएम को सौंपा गया। संबोधित ज्ञापन के माध्यम से  मांग की गई कि आज़मगढ़ के बांसगांव प्रधान सत्यमेव राम के हत्यारों को तत्काल गिरफ्तार किया जाए। परिवार को कम से कम एक करोड़ रूपये का मुआवज़ा, एक सदस्य को सरकारी नौकरी, मकान और भूमि आवंटित की जाए। जातीय उत्पीड़न, महिलाओं के यौन उत्पीड़न और बलात्कार के मामलों में स्थानीय थाने के अलावा उच्च पुलिस अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए। दलित वंचित समाज से जातीय आधार पर गाली–गलोच और मारपीट की समस्त घटनाओं की किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच करवाकर शिथिलता बरतने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। उत्तर प्रदेश सरकार पारदर्शी और न्यायसंगत मुआवजा नीति की घोषणा करे।

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