चुनावी राजनीति में किसी महिला को टिकट क्यों नहीं देता कोई दल?

January 19, 2022 1:33 PM0 commentsViews: 493
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अब तक केवल कांग्रेस पार्टी से कमला साहनी ही हो सकी हैं विधायक, सेनानी प्रभुदयाल की धर्मपत्नी है कमला साहनी

डुमरियागंज से कांती पांडेय को टिकट देने के बाद अब शोहरतगढ़ से रंजना मिश्रा या बांसी से किरन शुक्ला को टिकट दे सकती है कांग्रेस

 

नजीर मलिक

कांग्रेस उम्मीदवार एक सभा में सचिचदानंद पांडेय के साथ

सिद्धार्थनगर। जिले में महिला राजनीतिज्ञों की कमी नहीं है। इसके बरअक्स सभी प्रमुख दल योग्य महिला के होते हुए भी उसे चुनाव में टिकट देने से परहेज करते रहे हैं। यही कारण है कि आजादी के बाद से अब तक सभी प्रमुख दलों ने औसतन एक एक महिला को ही टिकट दिया है और उनकी जीत का प्रतिशत 66 रहा है। बावजूद इसके सभी दल इन्हें टिकट देने में कोताही बरत रहे हैं।

सिद्धार्थनगर जनपद के गठन से पूर्व यह क्षेत्र बस्ती जिले का हिस्सा था। उस समय जिले की शोहरतगढ़ सीट से पहली बार कांग्रेस पार्टी ने पूर्व विधायक प्रभुदयाल विद्यार्थी की पत्नी श्रीमती कमला साहनी को शोहरतगढ़ विधानसभा सीट से टिकट दिया था। सन 1977 के अपने पहले चुनाव में श्रीमती कमला साहन यद्यपि चुनाव हार गईं परन्तु बाद के 80, 85 और 89 के आम चुनावों में लगातार जीत कर साबित किया कि मौका मिलने पर महिलाएं भी पुरुषों की तरह जनसेवा में पीछे नहीं रहने वाली।

1996  में कमला साहनी के राजनीतिक पराभव के बाद से कांग्रेस ने किसी महिला को टिकट नहीं दिया। परन्तु 2002 में भाजपा ने शोहरतगढ़ में भी प्रयोग करते हुए शोहरतगढ़ सीट से ही पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती साधाना चौधरी को टिकट दिया मगर वे हार कर तीसरे नम्बर पर रहीं। सन 2007 व 2012 के चुनावों में भी साधना चौधरी चौथे और पांचवें नम्बर पर रहीं। इसी दौरान 2010 के उपचुनाव में बसपा ने स्व. विधायक तौफीक की पत्नी श्रीमती सैय्यदा खातून तौफीक को लड़ाया और वे विजयी भी हुईं। इसके अलावा सन 2012 में सपा ने उपचुनाव में स्व. दिनेश सिंह की पत्नी लालमुन्नी सिंह को टिकट दिया और वे विजयी भी रहीं। इन चारों के अलावा एक बार बसपा ने सैयदा खातून को टिकट दिया। इसके अलावा जिले के चुनावी इतिहास में किसी महिला को टिकट देने की कोई उल्लेखनीय मिसाल नहीं मिलती।

देखा जाए तो सिद्धार्थनगर जिले में महिला सियातदानों की कमीं नहीं रही है। अतीत में कांग्रेस पार्टी से इन्द्रासना त्रिपाठी, सपा से जुबैदा चौधरी, शांति आर्या व भाजपा से राजकुमारी पांडेय जैसी महिला नेता सगठन के बड़े पदों पर रहीं, मगर विधानसभा चुनाव में जब टिकट देने का वक्त आया तो सभी दल अचानक से यू टर्न लेते रहे। वर्तमान में सपा से जुबैदा चौधरी, चमनआरा राइनी, कांग्रेस से किरन शुक्ला जैसी एक दर्जन महिलाएं काफी मुखरता से राजनीत में हैं, मगर टिकट की दौड़ में सभी बहुत पीछे हैं।

सवाल है कि इन महिलाओं को टिकट क्यों नहीं मिला। उसके जवाब में समाजशास्त्री प्रो. एस.एन. पसाद  कहते है कि इसका मुख्य कारण समाज का पुरुष प्रधान होना है तथा हमारी परम्पराएं भी इसके विरुद्ध हैं। परन्तु वे हर्ष व्यक्त करते हुए कहते हैं कि इस बार कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने महिलाओं को 40 प्रतिशत टिकट देने का एलान करके उन्हें मुख्यधारा में जोड़ने के लिए बड़ा काम किया है। फिलहाल कांग्रेस ने डुमरियागंज से सच्चिदानंद पांडेय की पत्नी कांती पांडेय की टिकट का एलान कर दिया है तथा बांसी या शोरतगढ़ से किरन शुक्ला अथवा रंजना मिश्रा को टिकट देने का मन बना रही है।

 

 

 

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