शोहरतगढ़ः सपा से टिकट के लिए उग्रसेन को आधा दर्जन लोगों की चुनौती, एक पूर्व सांसद भी लाइन में

September 14, 2020 2:50 PM0 commentsViews: 2178
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नजीर मलिक

सिद्धार्थनगर। हालांकि विधानसभा चुनाव में अभी देर है, मगर चुनावबाजों की भारी तादाद के मद्देनजर जनपद सिद्धार्थनगर के शोहरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र से टिकट के दावेदार अभी से सक्रिय हो गये हैं। इसके लिए वे तरह तरह के घात-प्रतिघात और सियासी चालों को चलना शुरू कर दिये हैं। इस क्षेत्र में पेंचीदगी इतनी ज्यादा है कि टिकट की दौड़ में ऊंट कब और किस करवट बैठ जाये, इसका कोई भरोसा नहीं है।

शोहरतगढ़ विधानसभा क्षेत्र उत्तर प्रदेश का सबसे जटिल विधानसभा क्षेत्र है। यहां से कोई परम्परागत सपाई कभी चुनाव नहीं जीत सका है। यहां से मंत्री बने स्व. दिनेश सिंह सपा में एक विधायक के रूप में शामिल हुए थे। उनकी मृत्यु के बाद 2012 में उनकी पत्नी श्रीमती लाल मुन्नी सिंह ने एक तरफा जीत हासिल कि। वर्ष 2017 में उनके पुत्र उग्रसेन सिंह चुनाव लड़े लेकिन वे खासे मतों से हार गये।

उनकी हार के बाद से ही इस सीट से कई चेहरों ने भाग्य आजमाने को सोच लिया था। उग्रसेन की मुख्य प्रतिद्धंदी और महिला आयोग की पूर्व सदस्य जुबैदा चौधरी थीं। वर्ष 2017 में जुबैदा चौधरी को ही उम्मीदवार घोषित किया गया था, मगर फिर उनको हटा कर उग्रसेन सिंह को लाया गया, मगर गत चुनाव में उग्रसेन की पराजय होने के बाद से स्थितियां बदलने लगीं।

वर्तमान में शोहरतगढ़ से उग्रसेन सिंह, के मुकाबले जुबैदा चौधरी तो थीं हीं, उस पर बसपा से टिकट लेकर हार चुके पूर्व सपाई जमील सिद्दीकी फिर सपा में आ गये और अब टिकट के लिए जुगाड़ लगाने के साथ क्षेत्र में काफी सक्रिय हैं। सपा के एक पूर्व राज्यसभा सदस्य भी इस क्षेत्र से टिकट के लिए जुगाड़ में लगे हैं।

इन सभी सपाइयों के लिए भाजपा के सहयोगी दल के एक विधायक भी चुनौती बन रहे हैं। सूत्रों की मानें तो विधायक जी अपने पुराने दल बसपा और सपा दोनों ही दलों में ट्राई कर रहे हैं।  खबर है कि उनकी मदद सपा में बैठे उनके सजातीय कर रहे हैं।

यह सभी लोग तो हैं ही, कई अन्य नए नेता भी टिकट की फिराक में हैं। यह सभी लोग इसके लिए गत चुनाव में उग्रसेन सिंह की बुरी हार की दलील देकर अखिलेश यादव को समझाने में लगे हैं। लेकिन उग्रसेन सिहं का दावा भी कमजोर नहीं है। उनके समर्थकों का मानना है कि उनके पिता के मंत्री रहते क्षे़त्र का बहुत विकास हुआ।

उनकी माता जी ने विधायक बन कर सेवा की, उनकी पत्नी ब्लाक प्रमुख के रूप में जनसेवा में लगी हुई है। गत चुनाव में पूरे प्रदेश के सपाई दिग्गज तक चुनाव हारे, मगर अब ऐसा नहीं है। आगमी चुनाव में उग्रसेन सिंह अपने व अपने परिवार द्धारा किये गये विकास कार्यों के बल पर बाजी पलटकर रहेंगे। बहरहाल आने वाले समय में ऊंट किस करवट बैठेगा, समय के गर्त में है।

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