Excluve- शोहरतगढ़ः अमन की राख में नफरत की चिंगारियां दबी हो सकती हैं कप्तान साहबǃ

November 24, 2018 4:03 PM0 commentsViews: 1007
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— दशहरे से लक्ष्मी पूजा तक सामाजिक सौर्हाद्र तोड़ने की तीन कोशिशें हो चुकी है शोहरतगढ़ में

 — यहां तनाव, लूटपाट आगजनी की कई दास्तानें बिखरी हैं, फिर भी आसामाजिक तत्व घूम रहे हैं

नजीर मलिक

अक्टूबर 2015 में शोहरतगढ़ में हुई लूटपाट और आगजनी का दृश्य

सिद्धार्थनगर जिले का शोहरतगढ़ तहसील मुख्यालय अरसे से पुलिस साम्प्रदायिक लिहाज से बेहद संवेदनशील कस्बों में शुमार है। आये दिन यहां साम्प्रदायिक बवाल होते रहते हैं। पुलिस की फाइल में दर्ज मुकदमे इस तथ्य को प्रमाणित भी करते हैं। अगर चुनाव सर पर हों तो इसकी संवेदनशीलता और भी बढ़ जाती है। पुलिस सब कुछ जानती है, मगर ऐसे तत्वों का  कुछ इलाज नहीं कर पाती। सवाल है कि आखिर प्रशासन की कौन सी मजबूरी है कि वह इस छोटे से टाउन के एक दर्जन फिरकापरस्त तत्वों को इलाज नहीं कर पाता है।

सन 2015 की यादें अभी ताजा हैं

साम्प्रदायिक झड़पों को लेकर सिद्धार्थनगर में शोहरतगढ़ का इतिहास बहुत पुराना रहा है। हर पर्व त्यौहार पर तनाव, मारपीट और लूटपाट व आगजनी की घटनाएं यहां का इतिहास रही हैं।  यहां अक्टूबर 2015 में साम्प्रदायिक तनाव के दौरान लूट और आगजनी के बाद तत्कालीन नगर पंचायत अध्यक्ष के परिजनों की पिटाई और उनके राजनीतिज्ञ पति व हियुवा नेता को जेल भेजे जाने की यादें ताजा है। शहर कई दिन सदमें में रहा। जाने कितने निर्दोष पीटे गये। अनके जेल के सीखचों में रहे। इसके पूर्व एसपी चतुर्वेदी के समय में लोगों की पिटाई और जेल भेजे जाने का मामला भी स्मृति में है।

 पुराना है शोहरतगढ़ में साम्प्रदायिक झड़पों का इतिहास

फिरकापरस्ती की घटनायें यहां साठ के दशक से होती रही हैं। मगर लूटपाट 80 के दशक से शुरू हुईं। सन 1986 में यहां पहली बार बड़े पैमाने पर तोड़ फोड़ हुई। उसके बाद से उपद्रव यहां की परम्परा बन गई। सन 200 0 के आसपास एसपी बद्री प्रसाद सिंह ने  यहां बड़ा दंगा होते होते बचा लिया। कहा जाता है कि उन्होंने विधायक को सीधे धमकी देकर मामला शांत कराया।  इसके बाद एसपी रमित शर्मा के समय में उपनगर को उपद्रवियों ने इसे दंग्राग्रस्त बनाया। इसके पूर्व भी तमाम बार यहां सौहार्द्र टूटा। यहां ऐसे मामलों में दोनो ही पक्षों के लोग निरंतर जेल जाते रहे हैं।

हर बार अल्पसंख्यकों की क्षति हुई, फिर भी होते हैं उत्तेजित

पुरानी बातों को छोडिये। कितने बवाल हुएॽ कितनी लूट और आगजनी हुई? लेकिन रिकार्ड बताते हैं कि हर बार साम्प्रदायिक झड़पों में अधिक नुकसान अल्पसंख्यकों का ही हुआ। लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि बवाल हर बार हिदुवादी पक्ष की ही तरफ से हुआ। कई बार अल्पसंख्यकों ने भी आक्रामक रुख अपनाया, यह जानते हुये भी अन्ततः नुकसान उन्हीं का होगा। एक बार के जुलूस के दौरान स्मैक के नशे में धुत एक मुस्लिम युवा द्धारा जुलूस में हिंदू विरोधी नारा लगाने से ही माहौल तनावपूर्ण हो गया था। इस घटना को याद रखने की जरूरत है।

शोहरतगढ़ हिंदू सम्प्रदायिक तत्वों का प्रजनन केन्द्र

दर असल मुस्लिम बाहुल्य इस जिले में शोहरतगढ़ एक ऐसा कस्बा है जहां मुसलमानों की तादाद कम है और वह सबसे ज्यादा अशक्षित और गरीब हैं।इसलिए उनमें उद्दंडता भी अपेक्षाकृत अधिक है तो दूसरी तरफ यह उपनगर हिंदुत्वादी साम्प्रादायिक राजनीति करने वालों का प्रजनन केन्द्र है। ऐेसे में टकराव की आशंकाए बनी रहती हैं। अभी गत दिवाली के बाद लक्ष्मी प्रतिमा विसर्जन के दौरान मस्जिद के सामने गेट बनाने और ईदमीलादुन्नबी पर रौजे को छोटा बड़ा करने के विवाद ने साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश हुई। ईद मीलादुन्नबी पर गत बुधवार को वहां अल्ताफ के दो लड़कों के साथ मारपीट और छुरेबाजी की घटना भी हुई। लेकिन दारोगा रणधीर मिश्रा और उनकी टीम की तत्परता और समझदारी से मामला बढ़ने नहीं पाया। वरना आसामाजिक तत्वों ने कोशिश तो पूरी की थी।

 बड़ा सवाल, इन तत्वों पर क्यों नहीं लग पा रहा अंकुश

सवाल है कि शोहरतगढ़ में साम्प्रदायिक तत्वों पर अंकुश क्यों नहीं लग पा रहा। बताते है कि शोहरगतगढ़ थाने में एक सूची मौजूद है, जिसमें उपनगर के सम्प्रदायिक दृष्टि से सभी आराजक तत्वों को सूची बद्ध कर रखा गया है।यदि वह सूची सच है तो ऐसे चेहरों पर जाति धर्म से परे रह कर अंकुश लगाना चाहिए, मगर यह हो नहीं रहा। कहा जाता कि इसका कारण साम्प्रदायिकता से जुडे कई चेहरों का तस्करी, काला धंधे  व ड्रग के धंधे जुड़ा होना है। जिनसे पुलिस को अच्छी रकम मिलती रहती है। इसलिए वह आमतौर पर उनके खिलाफ नर्म रख रखती है।

लोकसभा चुनाव के मद्देनजर चौकसी जरूरी

जानकार लोगों को आशंका है कि इधर  चुनाव करीब है। ऐसे में सियासी रोटी गर्म करने वाले राजनीतिज्ञ भी ऐसे तत्वों को उकसाने का काम कर सकते हैं। आगामी अप्रैल मई में लोकसभा के चुनाव संभावित हैं। अतएव शोहरतगढ़ साम्प्रदायिक दृष्टि से और भी संवेदनशील हो सकता है। इसलिए जिले के प्रशासन प्रमुख कुणाल सिल्कू और पुलिस प्रमुख डा. धर्मवीर सिंह और उनकी टीम को इस बिंदु पर चौकस रहना होगा।

 

 

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