शोहरतगढ़ में चल रहा घनघोर बहुकोणीय युद्ध, हार जीत का आंकलन हुआ कठिन
26 प्रतिशत मुस्लिम मतों को एकजुट करने में जुटे डा. सरफराज, तो 11 फीसदी ब्राहमणों को गोलबंद कर रहे बसपा के राधारमण त्रिपाठी
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। शोहरतगढ़ विधानसभा की लड़ाई रहस्मय एवं रोचक होती जा रही है। यह बहुकोणीय मुकाबले में एक पक्ष जाति आधारित वोटों की गोलबंदी में जुटा हुआ है जबकि दूसरा पक्ष उन्हें रोकने की जुगत में लगा है। सभी पांच प्रमुख उम्मीदवार आपस में इस तरह गुत्थम गुत्था है कि हारलीत का अनुमान लगा पाना खतरे से खाली नहीं रह गया है।
बसपा के राधारमण ब्राह्मणों को रिझाने में लगे
शोहरतगढ़ सीट पर वर्तमान में 3 लाख 58 हजार मतदाता है। इनमें 16 प्रतिशत अर्थात 56 हजार दलित और 26 फीसदी यानी लगभग 91 हजार मुस्लिम वोटर हैं। इसके बाद ब्राह्मण कुर्मी यादव व अन्य जातियों के वोटर है। शोहरतगढ़ से चुनाव लड़ रहे सभी उम्मीदवारों में छः प्रमुख उम्मीदवार इन्हीं वोटरों में अपनी जाति के वोटरों को लेकर समीकरण बनाने में लगे हैं जबकि अन्य लोग इस समीकरण को बिगाड़ने की कोशिश में हैं। उदाहरण के लिए बसपा उम्मीदवार राधारमण त्रिपाठी 58 हजार दलित मतदाताओं में अपनी जाति के 34 हजार मतदाताओं को जोड़ कर जीत की बुनियाद को पुख्ता करने की लगातार कोशिश में हैं।
डा. सरफराज का एकला चलो का नारा
भागीदारी परिवर्तन मोर्चा के उम्मीदवार डा. सरफराज अंसारी तो एक बार मुस्लिम की जीत का नारा देकर मुस्लिमों को यह समणाने में लगे हें कि इसबार बहुसंख्यकों के वोटों के बंटवारे के फलस्वरूप सिर्फ 91 हजार मुस्लिम मतदाता एकजुट होकर अकेले ही क्षेत्र से पहली बार मुस्लिम विधायक चुन सकता है। उनकी इस दलील को अल्पसंख्यक वर्ग गंभीरता से सुन भी रहा है। डा. सरफराज कहते भी हैं कि अबकी बार मुस्लिम विधायक का नारा क्षेत्र के अल्प संख्यकों के मन में बैठ रहा है। उनके मन में एक बार इस क्षेत्र से मुस्लिम प्रतिनिधित्व देखने की तड़प भी है। इसलिए उनका नारा जरूर सफल होगा। बहरहाल डा. सरफराज की बातों में कितना दम है इसका आंकलन तो आने वाला समय ही करेगा।
पप्पू चौधरी व अमर सिंह के बीच कुर्मी वोटों को लेकर जंग
इसके अलावा कांग्रेस विधायक पप्पू चौधरी कांग्रेस के परम्परागत वोटों के साथ 40 हजार कुर्मी वोटों को जोड़ने में लगे हैं तो वर्तमान विधायक और आजाद पार्टी के उम्मीदवार अमर सिंह चौधरी भी अपने समर्थर्कों के अलावा दलित युवकों व कुर्मी मतों के सहारे वैतरणी पर करने की कोशिश में हैं। दोनों प्रत्याशियों के बीच कुर्मी वोटों पर पकड़ बनाने के लिए एक अलग ही संघर्ष चल रहा है। लोग कहते हैं कि यहां कुर्मी वोटों की एकजुअता कई लोगों के समीकरण बिगाड़ सकती है।
भाजपा, सपा गठबंधन प्रत्याशी गोलबंदी रोकने में जुटे
अब बचते हैं सपा और भाजपा गठबंधन के उम्मीदवार। सपा गठबंधन से सुभासपा के प्रेमचंद और भाजपा गठबंधन से अपना दल एस के विनय वर्मा मैदान में हैं। यह दोनों ही उम्मीदवार वोटों की जातिगत गोलबंदी को रोकने के प्रयास में हैं। प्रेमचंद कश्यप का मानना है कि यदि अल्पसंख्यकों ने अपना रुख सपा से फेरा तो सपा गठबंधन के लिए फिर कुछ न बचेगा। इसलिए वे सपा के मुस्लिम नेताओं के साथ इस गोलबंदी को न हाेने देने के भरपूर प्रयास में हैं। दूसरी तरफ भाजपा को पता है कि ब्ररह्मण और कुर्मी वोटर भाजपा के परम्परागत वोटर हैं। वह इन्हें अपने साथ जोड़ने के लिए कृतसंकल्पित हैं। इसके लिए वे भाजपा सांसद जगदमिबका पाल के निर्देशन में काम कर रहे हैं। अनुभवी सांसद पाल इसके लिए ब्राह्मण और कुर्मी नेताओं व वर्करों को इस मुहिम को तोड़ने में लगे हैं।
कुल मिला कर शोहरतगढ़ का चुनावी परिदृश्य बेहद धुंधला दिख रहा है।बहुकोणी संघर्ष में कौन आगे है और कौन पीछे, यह कहना कठिन है। जानकार मानते हें कि यदि वोटों की जातिगत गोलबंदी मजबूत हुई तो चुनाव का अश्चर्यजनक परिणाम सामने आयेगा और यदि सपा, भाजपा गठबंधन इस गोलबंदी को रोकने में सफल रहे तो उनके प्रत्याशियों में से किसी का सितारा बुलंद हो सकता है।