देखें विडियो- शिशु मंदिर में टीचर व दलित अभिभावक विवाद की सजा उसके मासूम बच्चों को मिली

September 24, 2019 12:29 PM0 commentsViews: 1014
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नजीर मलिक

https://youtu.be/Osm_kS14glA

सिद्धार्थनगर जिले में एक दलित व्यक्ति ने एक विद्यालय के प्रिंसिपल पर उसके चार बच्चों को स्कूल से निकालने का मामला सामने आया है। दलित व्यक्ति आरोप है कि प्रिंसिपल ने  बअभिाभवाक से विवाद होने पर उसे जाति सूचक शछों से अपमानित किया। यही नहीं उसके बच्चों को यह कहकर स्कूल से बाहर निकाल दिया कि तुम लोग दलित हो तुम्हारी औकात नहीं कि इस विद्यालय में पढ़ सको। दूसरी तरफ अस्कूल के प्रिंसिपल ने बच्चों को निकालने की बात स्वीकारते हुए मामला फीस न देने का बताया है। डीएम ने भी मामले की जानकारी होने व मामले की जांच की बात कही है।

जिले के शोहरतगढ़ कस्बा निवासी शिव कुमार के चार बच्चे घर के निकट स्थित सरस्वती शिशु मंदिर में पढ़ते थे। शिवकुमार का आरोप है कि 30 अगस्त को उसके बच्चों को स्कूल के प्रिंसिपल ने क्लास ही नहीं बल्कि स्कूल से ही बाहर निकाल दिया। जब वह स्कूल में वजह पूछने गया तो फीस जमा न होने की बात कही गई। शिवकुमार की मानें तो उसने जुलाई 2019 तक की फीस जमा कर दी है। यह बात उसने प्रिंसिपल को बताई तो दोनों पक्षों में नोकझोंक हुई अन्ततः प्रिंसिपल ने उन्हें जातिसूचक गालियां देते हुए यह कहकर भगा दिया कि तुम्हारी औकात नहीं कि तुम यहां अपने बच्चों को पढ़ा सको। इसके बाद उन्होंने  और बच्चों को स्कूल से निकाल दिया। शिव कुमार का कहना है कि तभी से बच्चे घर पर ही हैं और उनकी पढ़ाई छूट गई है। वह न्याय के लिए भटक रहा है लेकिन उसकी सुनवाई नहीं हो रही है।

इस मामले में शिुमंदिर के प्रिंसिपल अवधेश कुमार श्रीवास्तव बच्चों का नाम काट कर निकालने की बात तो मानते हैं, लेकिन उनका कहना है कि ऐसा निर्णय लेने की वजह बच्चों का दलित होना नहीं बल्कि फीस ना जमा करना और अभिभावक का स्टाफ के साथ दुर्व्यवहार करना है।बच्चों के पिता ने विद्यालय का अनुशासन तोड़ा तो उनके पास बच्चों को स्कूल से हटाने के अलावा कोई चारा न था। लेकिन एक अभिभावक की अनुशासनहीनता की सजा उन्होंने मासूम बच्चों को क्यों दी, इस सवाल क जवाब अनुत्तरित है।

वहीं इस मामले में जिलाधिकारी दीपक मीणा ने कहा कि मामला उनके संज्ञान में है। इसकी जांच कराकर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।बीच सत्र में स्कूल से बच्चों के निकालने के पीछे प्रिंसिपल और अभिभावक के अपने-अपने तर्क हैं लेकिन दोनों की इस लड़ाई में बच्चों का भविष्य अंधकार में पड़ गया है ।

 

 

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