नई सोशल इंजीनियरिंग के तहत हुआ भाजपा जिलाध्यक्ष का चयन, उपेक्षित हुए पिछडे़

January 13, 2016 4:55 PM0 commentsViews: 352
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नजीर मलिक

नये भाजपा अध्यक्ष राम कुमार कुंवर और पूर्व अध्यक्ष नरेन्द्र मणि त्रिपाठी

नये भाजपा अध्यक्ष राम कुमार कुंवर और पूर्व अध्यक्ष नरेन्द्र मणि त्रिपाठी

सिद्धार्थनगर। भाजपा के वरिष्ठ नेता राम कुमार कुंवर को जिलाध्यक्ष के पद पर पहुंचाना भाजपा की नई सोशल इंजीनीयरिंग का हिस्सा है। इसी के तहत उन्हें जिले की कामन सौंपी गई है।

70 के दशक से राजनीति शुरू करने वाले कुंवर जी संघ के स्वयं सेवक से लेकर पार्टी के तमाम पदों पर रहे हैं। लेकिन कई बार की दावेदारी के बावजूद वह अध्यक्ष पद पर पहुंचने में नाकाम रहे।

अतीत पर गौर करने पर पायेंगे कि चुनावी राजनीति में जहां पिछड़ा वर्ग के स्व. धनराज यादव, पप्पू चौधरी और साधना चौधरी जैसे लोग महत्व पाते थे तो संगठन में सवर्ण को जगह मिलती थी।

संगठन की कमान इस बार भी सवर्ण के हाथ में ही है। अंतर इतना है कि राम कुमार कुंअर भूमिहार हैं। जिले में इस बार भूमिहार अध्यक्ष बनाने के निहितार्थ हैं।
दरअसल सिद्धार्थनगर के भाजपाई राजनीति में पिछड़ा वर्ग का वर्चस्व टूटा है। दिग्गज धनराज यादव के स्वर्गवास और कई बार विधायक रहे पप्पू चौधरी के पार्टी त्यागने के बाद एकमात्र साधना चौधरी ही बची हैं, मगर उनका कोई खास जनाधार नहीं है। इसके अलावा एक अन्य कारण है जिसके चलते कुंवर को आगे किया गया।

खबर है कि इस बार यूपी में पार्टी का चुनाव पिछड़ा वर्ग के एक पुरोधा की अगुवाई में लड़ा जायेगा। धनराज यादव के निधन के बाद इस जिले के पिछड़ा वर्ग का मुख्य घटक यादव, अब पार्टी से छिटक चुका है। लिहाजा पिछड़ों में लोधी राजपूत ही बचे हैं, जो कल्याण सिंह के नाम पर उनके साथ रहेंगे। इसके अलावा कुर्मी बिरादरी में भाजपा का पारम्परिक आधार कायम ही रहेगा।

ऐसे में पार्टी की रणनीति सवर्ण मतों को पकड़ने की है। सालाें से उपेक्षित भूमिहार वर्ग को खुश करने के लिए जहां कुंवर को अध्यक्ष बनाया गया है, वहीं गत विधानसभा चुनाव में क्षुब्ध दिख रहे ब्राहमण वर्ग को जोड़ने के लिए पार्टी निवर्तमान अध्यक्ष नरेन्द्र मणि को विधानसभा चुनाव में उतारने की सोच रही है। राजपूत पहले से ही चुनाव वर्ग में हिस्सा पाता रहा है।

पार्टी का मानना है कि अगर अगले चुनाव में भूमिहार, ब्रहमण और राजपूत एक जुट रहे तो लोधी राजपूत और कुर्मियों के पारम्परिक वोट मिल कर भाजपा को बेहद मजबूत बना देंगे।

हालांकि पार्टी के पिछड़ा वर्ग के कई नेता इस चयन से अंदर से दुखी हैं। उनका कहना है कि संगठन में उन्हें कभी तरजीह नहीं मिलती है। लेकिन पार्टी के एक जिम्मेदार नेता का कहना है पार्टी आला कमान ने सोच कर फैसला लिया है। उसकी सोशल इंजीनीयरिंग की यह कवायद अगले विधानसभा चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी।

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