“सारी बेटा, डैडी टाफी लेने गये हैं”- पांच साल के अतुल से उसकी दादी ने क्यों बोला यह झूठ

July 9, 2023 1:08 PM0 commentsViews: 875
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नजीर मलिक

मासूम अतुल के 27 वर्षीय पिता अंकुर पांडेय

सिद्धार्थनगर। बदनसीबी है कि पांच साल के अतुल का पीछा ही नहीं छोड़ रही है। एक साल पहले जब उसने दूघ पीना छोड़ा ही था कि अचानक उसकी मां की मौत हो गई। और आज जब उसका जन्मदिन था तो उसके 27 साल के पिता अंकुर पांडेय पुत्र प्रद्युमन पांडेय की भी जान चली गई। अतुल के पिता अंकुर पांडेय शुक्रवार देर शाम सड़क दुर्घटना में जान गंवा बैठे। वह अतुल के जन्मदिन समारोह  ही शामिल होने के लिए बस्ती जा रहे थे। उधर बस्ती में अपनी दादी संग रह कर पढ़ाई कर रहा मासूम अतुल अपने जन्मदिन पर “हैप्पी बर्थ डे बेटू” कहने के लिए पिता के मौके पर न होने पर सवाल करता है तो उसकी दादी “डैडी टाफी लेने गये हैं”, जैसा बहाना बनाने के बाद फफक कर रोने लगतीं हैं और इसी के साथ पांच साल का अंकुर चकित हो जाता है कि आखिर उसकी दादी रह रह कर रोने क्यों लगती हैं।

मासूम बेटे का जन्मदिन, इंतजार था डैडी का

बस्ती के रौता चौराहा मुहल्ले में पांच वर्षीय अतुल का आवास गुब्बरों से सजा हुआ था। उसकी दादी ने केक को बड़े करीने से टेबुल पर सजा रखा था। बस अतुल के पिता अंकुर पांडेय के वहां पहुंचने की देर थी। दरअसल अंकुर पांडेय सिद्धार्थनगर जनपद के डुमरियांज तहसील के उपधी गांव के रहने वाले थे। अंकर की मां यानी अतुल की दादी अतुल व बड़े बेटे के पुत्र को लेकर बस्ती में पढाई करा रही थीं। शुक्रवार को अतुल के जन्मदिन पर केक काटने की पूरी तैयारी हो चुकी थी। अंकुर पांडेय अपने रिश्तेदार आशीष के साथ बाइक से बस्ती के लिए रवाना हो चुके थे। आठ बज रहा थे। फोन पर मां से हुई बातचीत के अनुसार वह बस्ती पहुंचने ही वाले थे, मगर साढ़े आठ बजे अंकुर की जगह उनकी मौत की खबर पहुंची। इस खबर के साथ ही जिस घर में उत्सव का माहौल था, वहां कोहराम मच गया। दादी की दहाड़ें सुन मासूम अतुल भौचक था। वह समझ नहीं पा रहा था कि आखिर उसकी दादी रो क्यों रही हैं? केक क्यों नहीं कट रहा है?

जब दादी ने पोते से बोला दर्दनाक झूठ

बहरहाल रात बारह बजते बजते अंकुर के गांव से परिजन बस्ती पहुंच गये। उसकी लाश पोस्टमार्टम हाउस में थी। आवास पर करुण क्रन्दन जारी था। बीच बीच में अतुल भोलेपन से एक ही सवाल पूछता था- “ दादी, डैडी कब आंयेंगे, केक कब कटेगा?” और आंसुओं की बरसात के बीच दादी बमुश्किल इतना ही कह पाती हैं-“ सारी बेटा, डैडी टाफी लेने गये हैं।” उनके इस कथन पर हर बार लोगों का धैर्य टूटता है और समस्त परिजनों की आंखों में गंगा जमुनी सैलाब लहराने लगता है।

बता दें कि अंकुर पांडेय अपने गांव उपधी से चल  कर बस्ती शहर के बाहर मनौरी चौराहे तक पहुंच चुके थे। वहां से आवास की दूरी चार किमी ही रह गई थी। उनकी बाइक की रफ्तार अपेक्षाकृत तेज थी। बेटे के जन्मदिन समारोह में पहुंचने का समय निकला जा रहा था। वह मनौरी चौराहा क्रास कर ही रहे थे कि सामने से आ रही एक ट्रक ने उनकी बाइक को टक्कर मार दी। इस हादसे में अंकुर की तो घटना स्थल पर ही मौत हो गई जबकि उनके साथ बैठा उनकी फुफेरा भाई आशीष मरणासन्न हो गया। आशीष फिलहाल लखनऊ मेडिकल कालेज में जिंदगी की जंग लड़ रहा है।

 

 

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