हाईकोर्ट ने तबलीगियों को दिया क्लीन चिट, कहा सरकार ने उन्हें बलिक का बकरा बनाया

August 24, 2020 12:22 PM0 commentsViews: 279
Share news

— हाई कोर्ट ने भारत की मीडिया खास कर इलेक्ट्रानिक मीडिया पर की सख्त टिप्पणी और किया शर्मसार

अग्रलेख

नजीर मलिक

कोरोना को लेकर तबलीगी जमात की ओट में पूरी मुस्लिम जमात को कटघरे में खड़ा करने का खुलासा करते हुए  बॉम्बे हाईकोर्ट  ने तब्लीगी जमात को निर्दोष ही नहीं बताया, बल्कि यहां तक लिख दिया कि इस प्रकरण में सरकार ने तबलीगियों को बलि का बकरा बनाया है। कोर्ट का यह ऐतिहासिक फैसला उस तमाचे के समान है कि जिसकी गूंज सरकार को बहुत देर तक सुनाई पड़ेगी। कोर्ट ने मीडिया खास कर इलेक्ट्रानिक मीडिया पर कड़ी टिप्पणी कर उन्हें काफी शर्मसार किया है।  मगर इस वक्त वे सभी पत्रकार गूंगे और बहरे बने हुए हैं।

इस तमाचे से उन कथित राष्ट्रवादी पत्रकारों और सरकार समर्थक कट्टरवादियों के खाए अघाए गाल और लाल हो गये हैं, जो उन्हें देशद्रोही, नंगा होकर पेशाब करने वाले, थूकने वाले बता कर फर्जी तस्वीरें डाल रहे थे। अब चीखता है भारत, पूछता है भारत जैसे कार्यक्रम चलाने वाला गोदी मीडिया सच बोलता है भारत नामक प्रोग्राम कब चलायेगा। क्या अमीश देवगन, अंजना ओम कश्यप, राहित सरदाना व जी न्यूज, रिपब्लिक भारत में ये हिम्मत है कि वह अपने स्क्रीन पर हाईकोर्ट के फसले का डिटेल देकर उन पर बहस आयोजित करें?

बता दें कि हाई कोर्ट ने जबलीगी जमात से सम्बद्ध 29 विदेशी सदस्यों को बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी को रद्द कर दिया है। इन 29 विदेशी लोगों पर भारतीय दंड संहिता  के तहत महामारी रोग अधिनियम, महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम, विदेशी नागरिक अधिनियम और आपदा प्रबंधन अधिनियम के अलग-अलग प्रावधानों के तहत एक एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें कहा गया गया था कि उन्होंने टूरिस्ट वीजा का उल्लंघन किया।  बता दें यह सभी लोग राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित निजामुद्दीन के तब्लीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए थे और इसी आरोप में इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी.

हाईकोर्ट की औरंगबाद बेंच के जस्टिस टीवी नलवाड़े और जस्टिस एमजी सेवलिकर की खंडपीठ ने तीन अलग-अलग पीटिशन की सुनवाई की, जिसे आइवरी कोस्ट, घाना, तंजानिया, बेनिन और इंडोनेशिया जैसे देशों के लोगों ने दायर की थी. इन सभी याचिकाकर्ताओं को पुलिस ने कथित तौर पर गुप्त सूचना के आधार पर अलग-अलग मस्जिदों में रहने और लॉकडाउन के आदेशों का उल्लंघन करते हुए नमाज अदा करने के आरोप में मामला दर्ज किया था.


औरंगाबाद पीठ से याचिकाकर्ताओं ने और क्या कहा?

हाईकोर्ट की बेंच के समक्ष याचिकाकर्ताओं ने कहा कि वे भारत की सरकार द्वारा जारी वीजा पर भारत आए थे। उन्होंने अदालत को बताया कि हवाई अड्डे पर उनकी जांच की गई और जब वह निगेटिव पाए गए तब ही उन्हें बाहर आने दिया गया.

उन्होंने दावा यह भी था कि उन सबने  अहमदनगर के पुलिस अधीक्षक को अपने आने की जानकारी दी थी। 23 मार्च को लॉकडाउन लगाए जाने के बाद गाड़ियों की आवाजाही बंद हो गई। होटल लॉज वगैरह बंद होने की वजह से उन्हें मस्जिद में रहना पड़ा।

तब्लीगी जमात को बनाया गया बलि का बकरामुम्बई हाईकोर्ट

इस मामले की सुनवाई के बाद अपने फैसले में औरंगाबाद पीठ की खंडपीठ ने पाया कि राज्य सरकार ने राजनीतिक मजबूरी के तहत काम किया और विदेशी नागरिकों के खिलाफ एफआईआर को दुर्भावनापूर्ण माना जा सकता है।

अदालत ने सभी के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को रद्द कर दिया. जस्टिस नलवड़े ने अपने फैसले में कहा कि जब महामारी या विपत्ति आती तो सरकार बलि का बकरा ढूढ़ने की कोशिश करती है और अभी के हालात बता रहे हैं कि इस बात के आसार हैं कि इन विदेशियों को बलि का बकरा बनाने के लिए चुना गया।

Leave a Reply