तहसील दिवस के इस रूप से कैेसे आयेगा अंतिम आदमी के पास समाजवाद?

March 15, 2016 8:46 AM0 commentsViews: 200
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निजाम अंसारी

nizam

शोहरतगढ़, सिद्धार्थनगर। जब मामला सेहत का हो तो हर आदमी के मूंह से एक ही बात निकलती है डाबर च्वयन प्राश ले लो। शरीर सम्बंधित सारे विकार ठीक हो जायेंगे। कुछ ऐसा ही फार्मूला समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह ने तहसील दिवस का बनाया था, जो पहले सभी को सूट करता था। बहुतों को पहले इससे फ़ायदा मिलता था। कोई भी परेशानी हो तुरंत तहसील दिवस में हल हो जाती थी।

पर सोमवार की रिपोर्ट सुन कर आप जान ही जायेंगे, कि अब यह तहसील दिवस लोगों क्यों नहीं सूट कर रहा है? कल के तहसील दिवस में कुल पांच मामले आये। पुलिस के तीन और ब्लाक विकास से एक मामला और खाद्य एवं रसद से एक ही मामला आ पाया था। कारण यह था, कि इन दिनों सबसे ज्यादा लोग इसी विभाग् से परेशान हैं

इस बार उनकी संख्या भी लगभग सौ के पार थी। बड़े चतुराई वाला दिमाग स्थानीय पूर्ती निरीक्षक ने लागाया। वह तहसील दिवस वाली जगह बैठे ही नहीं। अपना खुद का तहसील दिवस अपने घर के रूम न 11 में बैठ कर निबटाते रहे। स्वाभविक है की सारी भीड़ वहीं आ गयी। काहे का तहसील दिवस?  सपा का शासन है। तहसील दिवस में इस विभाग का मात्र एक ही मामला पहुंचा। वह तहसील परिसर के अंदर का था।

बताते चलें की एक व्यक्ति पर्सोहिया नानकर जो अन्त्योदय कार्ड धारक था, कोटेदार ने लालच में पड़ कर किसी दबंग आदमी का नाम फीडिंग करवा दिया था। इसे निपटाना मात्र पांच मिनट का काम था कंप्यूटर अप्रेटर के लिए।

सूत्रों ने बताया की आज कल अधिकारियों में धर पर काम निपटाने की भावना बढ़ रही है। इसलिए तहसील दिवस लोगों को सूट नहीं कर रहा है। कहने को तो यह जनपद समाजवाद का गढ़ है, पर कोई राशन कार्ड की धांधली, पात्रता सूची में नाम होने पर भी लगातार तीन माह से उनके राशन को कोटेदार के माध्यम से खुले मंडी में बिकवाना  रुकवा सकता है, यह अहम सवाल है।

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