जमीन अधिग्रहण में फंसा पेच, कपिलवस्तु महाविकास योजना पर संकट के बादल

November 1, 2022 1:17 PM0 commentsViews: 170
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नजीर मलिक


सिद्धार्थनगर। कपिलवस्तु में विकास के लिए शुरू की गई जमीन क्रय की प्रक्रिया पर ग्रहण लग जाने से अति महत्वाकांक्षी कपिलवस्तु महायोजना को ग्रहण लगने की आशंका पैदा हो गई। इस महायोजना के पूर्ण होने ही जिले में पर्श्टवन सम्बंधी रोजगार की भारी संभावनाएं व्यक्त की जा रही थी। मगर अब परियोजना में एक नहीं तीऩ-तीऩ तरह का पेंच फंस गया है।जिससे भारी बेरोजगारी वाले इस जिले के युवाओं में निराशा व्याप्त हो गई है। इस महायोजना से जिले में एक लाख रोजगाार मिलने की संभानाएं आंकी जा रही थी।

क्या है पूरा प्रकरण

खबर है कि महायोजना के लिए जमीन अधिग्रहण करने में पर्यटन विभाग के सामने दो तरह की अड़चन आ गई है। चार माह तक मुआवजा न मिलने पर किसान भी जमीन क्रय संबंधी सहमति पत्र की शर्तों को मानने से मना कर रहे हैं।
कपिलवस्तु स्तूप के पास पर्यटन सुविधाओं के पर्याप्त विकास के लिए पिपरहवा में 33 एकड़ जमीन अधिग्रहण (क्रय) करने की अनुमति प्राप्त हुई है। इसके लिए पर्यटन विभाग की ओर से 26 गाटा जमीन चिह्नित की गई थी, जिनमें से 85 किसानों को मुआवजा प्राप्त होना था। प्रशासन और किसानों के बीच 22 जून 2022 को वर्ष 2017 के सर्किल रेट के अनुसार, चार गुने दर पर जमीन क्रय करने के बीच सहमति बनी थी। 53 करोड़, 20 लाख, 46 हजार रुपये में जमीन अधिग्रहीत की जानी थी, जिसके लिए दो बार में पांच करोड़ रुपये प्राप्त भी हो गए। किसानों को जमीन की कीमत देकर रजिस्ट्री कराने की तैयारी भी थी, लेकिन अब पेंच फंस गया है।जिससे किसान किसान भी परेशान हैं।

क्या कहते हैं किसाान

पिपरवा के किसान महबुल्लाह का कहना है कि जमीन क्रय संबंधी सहमति पत्र के चार माह बाद भी मुआवजा नहीं मिला। इस कारण किसानों का नुकसान हुआ। जिन किसानों ने मुआवजा राशि की प्रत्याशा में कहीं और जमीन खरीदने के लिए अग्रिम भुगतान कर दिया, वे जमीन नहीं क्रय कर पाए, इससे उनको नुकसान हुआ है। उनकी सारी अग्रिम धनराशि डूब गई। किसानों का कहना है कि उनको वर्ष 2022 के सर्किल रेट पर भुगतान मिले तभी न्याय हो सकेगा। बिहरा के बशीर अहमद ने कहा कि पर्यटन विभाग की ओर से किसानों को समय पर मुआवजा नहीं दिया गया। उसके बाद सर्किल रेट बढ़ गया है। अब प्रशासन को नए सर्किल रेट के अनुसार जमीन क्रय करनी चाहिए। अब्दुल रसीद, मैनुद्दीन, मुस्तफा एवं सिकंदर का कहना है कि मुआवजा की प्रत्याशा में उन्होंने खेत में फसल नहीं बोई, क्योंकि अधिकारियों ने कहा था कि एक सप्ताह बाद मुआवजा का भुगतान हो जाएगा।

पर्यटन अधिकारी बोलीं

इस बारे में जिला पर्यटन सूचना अधिकारी प्रिया सिंह ने बताया कि कपिलवस्तु में 33 एकड़ जमीन क्रय करने के लिए शासन से पंजीयन एवं लिपिकीय शुल्क के भुगतान की मांग की गई है। जमीन की कीमत में ये शुल्क नहीं दर्शाए गए हैं, जबकि महानिदेशक पर्यटन के निर्देश के अनुसार, कलिपवस्तु में जिस जमीन को पर्यटन विकास के लिए चिह्नित की गई है, उसके अलावा आसपास के अन्य स्थानों पर जमीन की तलाश की जा रही है। इस मामले में क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी की ओर से रिपोर्ट तैयार की जा रही है। उधर, किसान भी मुआवजे की मांग कर रहे हैं।

डीएम ने कहा

जबकि जिलाधिकारी संजीव रंजन का कहना है कि वे इन दिक्कतों के हल के लिए शासन स्तर प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कपिलवस्तु में जमीन अधिग्रहण करने के लिए पर्यटन विभाग ने शासन से पंजीयन एवं लिपिकीय शुल्क की मांग की है। पंजीयन शुल्क प्राप्त होने के बाद जमीन क्रय की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इसमें वे अपने स्तर से पूरा प्रयास कर रहे हैं।

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