डुमरियागंज लोकसभाः भाजपा से टिकट के लिए चार लोगों में संघर्ष, 22 के बाद होगा जद्दोजहद

January 15, 2024 1:05 PM0 commentsViews: 1125
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नजीर मलिक

कार्यक्रम में एक महिला को सहायता प्रदान करते पूर्व मंत्री सतीश द्धिवेदी

सिद्धार्थनगर। लोकसभा चुनावों की घड़ी निकट देख कर भारतीय जनता पार्टी में अब टिकट को लेकर भाग दौड़ शुरू हो गई है। यद्यपि कि यहां से भाजपा नेता जगम्बिका पाल लगातार तीसरी बार सांसद बने हैं, मगर टिकट की आकांक्षा रखने वाले कुछ प्रभावशाली नेता अपने स्तर से टिकट के जुगाड़ में लगे हुए हैं। ऐसे नताओं को उम्मीद है कि आयु के आधार  पर इस बार कई नेताओं का टिकट काटा जा सकता है।टिकट कटने की सूची में दर्ज लोगों में वे सब जगदम्बिका पाल का नाम भी मान कर चल रहे हैं।

बताया जाता है कि आगामी लोकसभा चुनाव के लिए सत्ताधारी दल से लगभग आधा दर्जन नेता चुनाव लड़ने के आकांक्षी हैं। इनमें से पूर्व शिक्षामंत्री सतीश कुमार द्धिवेदी, शिक्षक विधायक ध्रुव त्रिपाठी तथा पूर्व विधायक राघवेन्द्र प्रताप सिंह आदि चुनाव लड़ने के इच्छुक बताये जाते हैं। रही बात वर्तमान सांसद जगदम्बिका पाल की, तो वे इस क्षेत्र से पहली बार कांग्रेस के टिकट पर और दो बार भाजपा के टिकट पर सांसद चुने जा चुके हैं। इस लिहाज से उनके समर्थक इस सीट से उनका टिकट पक्का बताते हैं। परन्तु समय समय पर मीडिया में चलने वाली खबरों में उनके टिकट कटने की आशंका भी चलती रहती है। उदाहरण के लिए अभी पिछले सप्ताह आज तक के वरिष्ठ पत्रकार रहे और वर्तमान में यू टृयूब चैनल आर्टिकल-19 के संपादक नवीन कुमार की खबर में यूपी के जिन सीटों के सांसदों का टिकट कटने की आशंका की खबर चलाई गई थी, उसमें डुमरियागंज सीट का भी नाम था।

खबर है कि इधर जगम्बिका पाल का टिकट कटने की आशंका के मद्देनजर कई लोंगों में टिकट पाने को लेकर सक्रियता बढ़ गई है। बताया जाता है कि राघवेन्द्र प्रताप सिंह और एमएलसी ध्रुव कुमार त्रिपाठी काफी उम्मीदें लगाये बैठे हैं। राधवेन्द्र प्रताप सिंह हियुवा के बड़े नेता रहे हैं। उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का काफी करीबी माना जाता है। तो ध्रुव त्रिपाठी की शिक्षक राजनीति में अपनी ताकत है। उनके साथ भी भजापा के कुछ बड़े नेता हैं।

लेकिन सबसे अधिक सक्रियता इटवा से विधायक और बेसिक शिक्षा मंत्री रहे भाजपा नेता डा. सतीश चंद द्विवेदी की देखी जा रही है। सतीश द्विवेदी पिछली विधानसभा में पहली बार विधायक निर्वाचित हुए और मंत्री बनाये गये। इसे उनकी राजनीतिक हैसियत का अंदाजा लगता है।  वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से मुख्यधारा की राजनीति में आये हैं और आरएसएस के काफी  करीबी करीबी माने जाते हैं। उनके समर्थक बताते हैं कि वर्तमान सांसद कांग्रेस से आये हैं तथा आयु के हिसाब से पार्टी के खांचे में फिट नहीं बैठते, जबकि सतीश द्विवेदी पार्टी की जमीन से उठे हैं। ऐसे में सतीश द्विवेदी के चांस काफी हैं।

बहरहाल पार्टी ने टिकट देने के लिए क्या मापदंड तय किया है यह अभी स्पष्ट नहीं है। राजनीतिक प्रेक्षकों का ख्याल है कि राम मंदिर का कार्यक्रम समाप्त होने के बाद से इस दिशा में भाजपा काम करेगी। इसी के मद्देनजर टिकट के दावेदार अपनी सक्रियता बढ़ा रहे हैं। देखना है कि टिकट घर की चाभी अन्ततः किसके हाथ लगती है।

 

 

 

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