खास खबरः टिकट को लेकर भाजपा में घमासान, फूटे बगावत के सुर, पोस्टरों पर पुत रही कालिख

January 20, 2017 2:25 PM0 commentsViews: 614
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एस.दीक्षित

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लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी में टिकट को लेकर घमासान मचा हुआ है. सोमवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए घोषित की गई 149 प्रत्याशियों की सूची के बाद से ही पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं में रोष व्याप्त है. इसी क्रम में बुधवार को शाहजहांपुर के रहने वापे भाजपा कार्यकर्ता राकेश दुबे ने लखनऊ पार्टी ऑफिस के बाहर आत्मदाह करने की कोशिश की. राकेश दुबे पार्टी से टिकट चाहता था, लेकिन पहली लिस्ट में उसका नाम नहीं था. जिस वजह से नाराज राकेश ने आज आत्मदाह की कोशिश की.

नेताओं के चेहरे पर कालिख पोती

बता दें पुरे प्रदेश में पार्टी कार्यकर्ताओं का यही आलम है. बीजेपी में टिकट के लिए एक-एक सीट पर सैकड़ों प्रत्याशी अपनी दावेदारी ठोंक रहे हैं. इतना ही नहीं कार्यकर्ताओं का आरोप है कि कई सालों से पार्टी की सेवा कर रहे कार्यकर्ताओं को अनदेखा करते हुए दल-बदलुओं को टिकट दिया गया है. इससे पहले मंगलवार को कासगंज में बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने ही नरेंद्र मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह आदि की तस्वीर पर कालिख पोत डाली और चप्पल चलाए. यही नहीं बरेली में भी टिकट बंटवारे से नाखुश नेता ने संगठन के पद से इस्तीफा दे दिया.

ममतेश के चलते हुआ बवाल

कासगंज में पटियाली सीट से बीजेपी ने ममतेश शाक्य को प्रत्याशी घोषित किया है. ममतेश 2012 में बसपा के टिकट पर अमापुर से विधायक बने थे. हाल ही में उन्होंने बीजेपी ज्वाइन की है. इस सीट से पार्टी के श्याम सुंदर गुप्ता अपनी दावेदारी कर रहे थे. टिकट की घोषणा के बाद श्याम सुंदर के समर्थकों की तरफ से मंगलवार को पार्टी के पोस्टर पर पीएम मोदी के चेहरे पर कालिख पोती गई.

उधर इस संबंध में श्याम सुंदर गुप्ता की तरफ से साफ कहा गया है कि उनका इस विरोध से कोई लेना देना नहीं है, ये कार्यकर्ता हैं जो अपना रोष व्यक्त कर रहे हैं. उधर बरेली में टिकट बंटवारे को लेकर केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार के साले वीरेंद्र ने बीजेपी महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया है. बरेली में ही प्रत्याशियों की सूची जारी होते ही बीजेपी के जिला महामंत्री धीरेंद्र सिंह वीरू ने पद से इस्तीफा दे दिया है. धीरेंद्र बसपा छोड़ बीजेपी में पिछले दिनों आए केसर सिंह को नवाजगंज से टिकट दिए जाने से क्षुब्ध हैं.

उत्तर प्रदेश में 11 फरवरी से 8 मार्च के बीच सात चरणों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. कांग्रेस, राष्ट्रीय लोक दल और समाजवादी पार्टी के अखिलेश धड़े के बीच गठबंधन के बावजूद बहुकोणीय मुकाबला देखने कोमिलेगा. केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के बाद जिस तरह से बीजेपी को दिल्ली और बिहार में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है, वैसे में उत्तर प्रदेश का चुनाव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है.

मोदी होंगेचुनाव का चेहरा

मुख्यमंत्री चेहरे को सामने न लाकर एक बार फिर बीजेपी ने पीएम मोदी के चेहरे पर दांव खेला है. इसका कितना फायदाउसे इन चुनावों में मिलेगा वह 11 मार्च को सामने आ ही जाएगा. इस बार उत्तर प्रदेश चुनावों में समाजवादी पार्टी में मचे घमासान के अलावा प्रदेश की कानून व्यवस्था, सर्जिकलस्ट्राइक, नोटबंदी और विकास का मुद्दा प्रमुख रहने वाला है. जहां एक ओर बीजेपी और बसपा प्रदेश की कानून व्यवस्थाको लेकर अखिलेश सरकार को घेर रही हैं, वहीँ विपक्ष नोटबंदी के फैसले को भी चुनावी मुद्दा बना रहा है. यूपी विधानसभा में कुल 403 सीटें हैं. 2012 के विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी ने 224 सीट जीतकर पूर्ण बहुमतकी सरकार बनाई थी. पिछले चुनावों में बसपा को 80, बीजेपी को 47, कांग्रेस को 28, रालोद को 9 और अन्य को 24 सीटें मिलीं थीं.

 

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