पति ने दूसरी शादी कर ली, जेठ़़-जेठानी ने जुल्म ढाये, बेघर किया, अब बेटी की इज्जत पर खतरा
इस बार न्याय न मिला तो तीनों बेटियों साथ खुद पर पेट्रोल
डाल कर जिंदगी से मुक्ति पा लूंगी- मीडिया से बोली पीड़िता
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर।एक महिला जिसके पति ने शादी के १५ साल बाद दूसरी शादी कर ली, फिर भी पहली पत्नी शहीदुन्निशां ने अपनी तीन बिच्चियों के भविष्य को देख कर खामोश रही, मगर इस समाज में बढ़ती जा रही हैवानियत तो देखिए पति समेत सारे ससुराली शहीदुन की इस कुर्बानी को भूल गये। कुछ दिन बाद ससुराली उसका इतना अधिक उत्पीड़न करने लगे कि उसने एसपी से मिल कर न्यय मांगा और न्याय न मिलने पर तीनों बच्चियों समेत जल मरने की बात तक कही दी। सवाल है कि क्या समाज और प्रशासन की संवेदनाएं लगातार दम तोड़ रही हैं कि न्याय के लिए जान देने की नौबत आ जाए?
35 साल की शहीदुन्निशां की शादी बांसी कोतवाली के सिंघावल गांव के नईमुद्दीन से हुई है। उसकी तीन बच्चियां हैं जिनमें सबसे बडी़ बेटी चौदह साल की है। नईमुद्दीन मुम्बई मेंं रह कर चूड़ी बेचने का काराबार करता है। 2014 में नईमुद्दीन ने मुम्बई में दूसरी शादी कर ली। शहीदुन यह सोच कर खामोश रही। वह समझती थी कि पति की दूसरी शादी की वजह शायद बेटा पैदा न होना हो, ऐसे में अगर वह विरोध करेगी तो उसकी तीनों बेटियों का भविष्य चौपट हो जायेगा। लेकिन शहीदुन का यह त्याग भी बेकार गया। धीरे धीरे उसके दोनों जेठ जेठानी सका उत्पीड़न करने लगे।
बकौल शहीदुन्निंशां हद उस वक्त हो गई जब उसने महसूस किया कि उसके देवर की बुरी नजर उसकी बेटियों पर है। इसके बाद शहीदुन ने प्रतिरोध किया तो उसे मारा पीटा और घर से निकाल दिया गया। तब वह पास में क झाेपड़ी बना कर उसमें रहने लगीी। कुछ महीने पहले उसकी झोपड़ी में भी आग लगा दी गई। तबसे वह बेचारी गांव वालों के रहमो करम पर किसी तरह दिन गुजार रही है।
इस दौरान शहीदुन कई बार बांसी कोतवाली भी गई। आखिर थक हार कर कोतवाली पुलिस शहीदुन को उसकी ससुराल में जबरन कर आयी। मगर पुलिस के आते ही फिर वही उत्पीड़न होने लगा। वह फिर घर से निकाल दी गई। चाारों ओर से निराश शहीदुन शुक्रवार को एसपी से मिली, एसपी अभिषेक महाजन ने उसे न्याय दिलाने की बात कही है। दूसरी तरफ शहीदुन का मीडिया से कहना है कि अगर इस बार भी कार्रवाई न हुई तो वह अपने और अपनी तीनों बच्चियों पर मिट्टी का तेल या पेटोल डाल कर जल मरेगी। अब देखते हैं कि उसे एसपी से फरियाद के बाद न्याय मिलता है अथवा वह इस सामाजिक अभिशाप की यंत्रणा भुगतने को मजबूर ही रहती है।