ये दोस्ती हम नहीं तोंड़ेंगे, काश! दोनों दोस्त हेलमेट पहनते होते तो न पाते दर्दनाक मौत

March 20, 2024 2:08 PM0 commentsViews: 1074
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नजीर मलिक

मृतक सनोज

सिद्धार्थनगर। दोनों पड़ोसी थे और एक साथ पले बढ़े थे। एक साथ मुम्बई में काम भी करते थे। दोस्ती इतनी गहरी थी कि अक्सर साथ जीने मरने की कसमें भी खाते रहते थे और जब दोनों की एक साथ जान गई तो ‘ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेगें, तोडेंगे दम मगर तेरा साथ न छोड़ेंगे’ की कहानी चरितार्थ कर गई। डुमरियागंज थने के मूड़ाडीह गांव के दो युवकों की रोड एक्सीडेंट में मौत ने न सिर्फ परिवार, बल्कि गांव के लोगों को झकझोर कर रख दिया है। काशǃ उन्होंने हेलमेट लगाया होता, तो असमय मात का शिकार न होना पड़ता। बता दें कि सोमवार की रात १० बजे अमौना पांडेय में स्कार्पियो की चपेट में आने से दो बाइक सवार नौजवानों की दर्दनाक मौत हो गई थी। तब से वहां के दर्जनों घरों में चूल्हे नहीं बने हैं।

मृतक सत्येन्द्र

कैसे हुआ हादसा

क्षेत्र के मुडाडीहा निवासी बीस साल के सत्येंद्र पुत्र देवी लाल यादव तथा इसी गांव के बाईस वर्रीय सनोज कुमार पुत्र शिव कुमार चौधरी बाइक से सोमवार को भारतभारी किसी काम से गए हुए थे। वापस वो दस बजे रात को अपने गांव आ रहे थे। अमौना पांडेय गांव के पास पहुंचे थे कि रूधौली की तरफ से आ रही स्कार्पियो की चपेट में आ गए। हादसे में दोनों बाइक सवार सड़क पर गिर कर तड़पने लगे। इस दौरान तेज आवाज सुनकर आसपास के लोग दौड़े और आनन-फानन में एक निजी अस्पताल पहुंचाया। जहां डॉक्टर ने दोनों को मृत घोषित कर दिया।

काश हेलमेट होता

लोगों का कहना है कि दोनों बाइक सवार हेलमेट नहीं लगाए हुए थे। हादसे की सूचना युवकों के परिवारों को पुलिस ने दी। पुलिस ने स्कार्पियो को कब्जे लेते हुए शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। मौत के बाद गांव में मातम छाया हुआ है। दोंनों की माएं अभी भी घर में रखे हेमलमेट देखते हुए बिलखती हैं कि काश! उनके दोनों बेटे हेलमेट पहन कर निकले होते।  इस संबंध में डुमरियागंज थाना प्रभारी इंस्पेक्टर मुकेश कुमार राय ने बताया कि स्कार्पियो कब्जे में लेकर चालक के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कर लिया गया है।

एक सप्ताह पहले ही मुंबई से दोनों आए थे घर

हमउम्र सत्येंद्र और सनोज आपस में गहरे दोस्त थे। गांव के लोगों के मुताबिक मृतक सनोज, शिव कुमार चौधरी के पांच बेटों में चौथे नंबर का था। वह मुंबई में पीओपी का काम करता था। वहीं सत्येंद्र, देवी लाल यादव के बेटों में छोटा बेटा था। वह भी मुंबई में कारपेंटर का काम करता था। दोनों एक सप्ताह पहले मुंबई से गांव आए थे। उनमें आपस में तगड़ी दोस्ती थी। दोनों के पिता गांव में खेती का काम करते है। वह सप्ताह भर पहले होली मनाने गांव ये थे और घटना के दिन बाइक से एक साथ घूमने निकले थे और एक ही साथ जान भी चली गई।

 

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