यूपी में सात सीटों पर होने जा रहे उपचुनाव क्या विधानसभा चुनावों का सेमी फाइनल हैं?

October 10, 2020 12:35 PM0 commentsViews: 628
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—आगमी साल में होने वाले प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए लिटमस टेस्ट का काम करेंगे उपचुनावों के नतीजे

नजीर मलिक

वर्तमान में उत्तर प्रदेश विधानसभा में विभिन्न करणों से सात सीटें खाली है।जिन पर उपचुनाव होने हैं। ऐसे हालात बन रहे है कि सम्भवतः अगले महीने इन सीटों पर चुनाव की अधिकृत घोषणा कर दी जाए। इनमें कई सीटें इतनी चर्चित हैंकि उनके पूर्व विधायकों का गुण दोष भविष्य में होने वाले विधानसभा चुनावों में प्रमुख मुद्दा बनेगा। इसलिए इनसात सीटों पर उपचुनाव काफी अहमियत रखता है। तो आइये उन सातों सीटों पर हालात का जायजा लें, जिनके जीत हार का प्रभाव आगामी विधानसभा चुनावों पर पड़ने की आशंका मानी जा रही है।

कितनी और कहां की सीटों पर होंगे उपचुनाव

उत्तर प्रदेश विधानसभा में रिक्त हुई सात विधानसभा सीटों में फिरोजाबाद जिले की टुण्डला, उन्नाव में बांगरमऊ, रामपुर में स्वार, बुलंदशहर जिले में बुलंदशहर सदर, जौनपुर में मल्हनी, कानपुर नगर में घाटमपुर और अमरोहा में नौगावां सादात सीट शामिल हैं. इनमें टूंडला बीजेपी के एसपी बघेल द्वारा त्यागपत्र देने से, जबकि बांगरमऊ व स्वार सीटें कोर्ट के हस्तक्षेप से रिक्त हुईं. इनके अलावा मल्हनी, बुलंदशहर, घाटमपुर व नौगावां सादात निर्वाचित विधायकों के निधन से रिक्त हुई हैं।

इन सीटों में जौनपुर जिले की मल्हनी दिग्गज सपा पारस यादव की मृत्यु और रामपुर जिले की स्वार सीट पर सपा नेता आजम खां के बेटे जीते थे। बाद में उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया था। अन्य सारी सीटें भाजपा के पास थीं। इसके अलावा अमरोहा जिले की नौगावां सीट बीजेपी के चेतन चौहान के निधन के चलते रिक्त हुई है. 2017 में चौहान सपा के जावेद आब्दी को करारी मात देकर कैबिनेट मंत्री बने थे. ऐसे ही बीजेपी के विधायक वीरेंद्र सिंह सिरोही के निधन के चलते अब बुलंदशहर विधानसभा सीट रिक्त हो गई है.। 2017 में वीरेंद्र सिरोही ने बसपा के हाजी अलीम खान को हराया था, बीजेपी ने कई चुनाव के बाद इस सीट पर वापसी की थी।   

सपा के लिए मल्हनी आसान और स्वार मुश्किल

जानकार बताते हैकि इनमें से मल्हनी सीट पर सपा नेता पारसनाथा यादव की मौत के बाद उपजी सहानुभति का सीधा लाभ सपा को मिल सकता है। स्व. पारसनाथ यादव जमीनी नेता थे और जब पिछली बार वह भाजपा की लहर में जीते थे तो इस बार तो सरकार के खिलाफ कहीं न कहीं नाराजगी भी है। लिहाजा जानकार उस सीट को पक्की मान कर चल रहे हैं।विैसे भी वह सीट यादव बहुल है। इसके अलावा मुस्लिम और अन्य पिछड़े मतदाताओं की खासी तादाद है।

दूसरी तरफ रामपुर की स्वार सीट पिछली बार भाजपा द्धारा पूरी  ताकत लगाई गयी थी। इसके बावजूद वे सपा के दिग्गज आजम के बेटे अब्दुल्ला कोशिकस्त न दे सके। बल्कि यह कहा जायेकि अकेले आजम खान ने पूरी भाजपा को हरा दिया। बाद में अब्दुल्ला विधायक पद कोर्ट ने खारिज रद करदिया। अब वहां एक बार फिर उपचुनाव होने वाले हैं। इस समय आजम का पूरा परिवार जेल में है और उनके सारे विरोधी उनके खिलाफ लामबंद हैं। ऐसे में सपा का उम्मीदवार कोई भी हो, उसका जीत पाना बेहद कठिन लग रहा है।   

बांगरमऊ से तय होगी अवध में भाजपा की लोकप्रियता

बांगरमऊ वही सीट है जहां पर भाजपा विधायक वीरेंन्द्र सिंह सेंगर थे। वह उन्नाव के चर्चित बलात्कार कांड में आरोपी हैं। कोर्ट के आदेश पर यह सीट भी रिक्त है। उन्नाव बलात्कर कांड पूर प्रदेश में आज भी याद किया जाता है। इस सीट पर सपा भाजपा के लिए चुनौती है। उन्नाव उपचुनाव में बांगरमऊ सीट भाजपा के लिए लिटमस टेस्ट साबित हो सकते हैं। इस पर यदि भाजपा पुनः जीतती है तो उसे विधानसभा चुनाव में अपनी साख बचाने की उम्मीद हो सकती है।

 इसके अलावा फिरोजाबाद जिले की टूंडला, बुलंदशहर सदर, चेतन चौहान की मौत से खाली हुई अमरोहा जिले की सादात व घाटमपुर सीट पर भाजपा का कब्जा था। जिनके रिक्त होने पर उपचुनाव होने हैं। इनमें बुलंद शहर सीट पर भाजपा की टक्कर बसपा से हुई थी। बाकी पर भाजपा का मुकाबला सपा से था।पिछले चुनाव में भाजपा के पक्ष में समर्थन की लहर थी। इस बार मोदी जी पहले की तरह लोकप्रिय नहीं रह गये हैं। उपर से विभिन्न कारणों से जनता की नाराजगी है,जो इनकंबेंसी में बदलती दिख रही है। इसलिए उपचुनाव में सत्ता और विपक्ष के बीच जोरदार अक्कर होने की संभावना है।जिसके नतीजे से विधानसभा चुनाव नतीजे को समढना ज्यादा आसान होगा।

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