हिस्ट्रीशीटर विक्रम का निशाना इतना अचूक था, कि एक ही गोली ने तोड़ दी वैभव की जिंदगी की डोर

December 17, 2017 12:35 PM0 commentsViews: 1834
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नजीर मलिक

वैभव तिवारी

सिद्धार्थनगर।  डुमरियागंज के पूर्व विधायक और फायर ब्रांड भाजपा नेता जिप्पी तिवारी के ३० साल के बेटे वैभव तिवारी को सूरज शुक्ला ने नहीं, बल्कि उसके साथी विक्रम ने गोली मारी थी। उसका निशाना इतना अचूक था कि उसने मात्र एक गोली चलाई और वह दिल को चीरते हुए निकल गई। जाहिर है कि इतना शातिर निशाना किसी पेशेवर अपराधी का ही हो सकता है। वैभव अपने परिवार के इकलौते बेटे थे।

क्या हुआ था घटना के समय

शनिवार की शाम लखनऊ के कसमंडा अपार्टमेंट में वैभव अपने रिश्तेदार आदित्य के साथ गप्पे लड़ रहे थे। उन्हें इस बात का यहसास नहीं था कि मौत कुछ कदम के फॅासले पर खड़ी है। अचानक साढ़े आठ बजे रात में  उनके परिचित सूरज शुक्ला का फोन आता है। सूरज उनसे बिजनेस की जरूरी बात करना चाहता था। वैभव आदिज्य के साथ फलैट सें नीचे आये और  कसमंडा भवन के गेट  के पास रात साढे आठ बजे सूरज से बातचीत करने लगे। इसी दौरान उनके पिता जिप्पी तिवारी भी कहीं से आ गये। वैभव ने उन्हें ऊपर जाने को कहा और सूरज से बात करने लगा। समझाा जाता है कि वार्ता किसी जमीन के टुकड़े को लेकर हो रही थी।

एक ही गोली और जिंदगी समाप्त

कुछ ही मिनट की बात चीत  में लगभग ९ बजे माहौल तनावपूर्ण हो गया। वैभव के रिश्तेदार आदित्य ने बीच बचाव की कोशिश की तो उसे धमका कर खामोश कर दिया गया। बात बढ़ी तो अचानक विक्रम ने रिवाल्वर निकाला और उनके सीने में गोली उतार दी। निशाना अचूक था। गोली दिल में लगी और वैभव ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। सूरज और विक्रम आराम से अपनी काले रंग की सफारी में बैठ कर आराम से चले गये। उन्हें लोहिया अस्पताल ले जाया गया जहां डौटरों ने उनकी मौत की पुष्टि कर दी।

रमवापुर के प्रधान भी थे वैभव

पूर्व विधायक प्रेम प्रकाश उर्फ जिप्पी तिवारी डुमरियागंज से तीन बार विधायक रह चुके हैं। वह इसह क्षेत्र के ग्राम रमवापुर जगतराम के निवासी थे। वैभव तिवारी वहां के प्रधान भी थे। इधर कुछ दिनों से उनका समूचा परिवार लखनऊ के कसमंडा आवास में रहे रहा था। लेकिन राजनीति में होने के करण वे डुमरियागंज आते जाते रहते थे। वह जिप्पी तिवारी के इकलौते पुत्र थे।

ढाई साल की बेटी को पापा का इंतजार

तीस साल के वैभव की अभी चार साल पहले शादी हुई थी। उनकी पत्नी शिवांशु भी वहीं थी। वह इस घटना से अचेत हो गई। वैभव के पिता और मां बिलख रहे थे। वैभव की ढाई साल की दुधमुहीं बच्ची वैष्णवी कुछ समझ नही पा रही थी कि लोग रो क्यों रहे हैं। वह तो अपने पापा का इंतजार कर रही थी, यही वह टाइम था, जब वह अपने पापा की गोद में होती थी, लेकिन आज पापा को न पाकर वह हैरान थी।

जल्द पकड़े जायेंगे हत्यारे–एसएसपी

फिलहाल हत्याकांड के बाद से ही पुलिस की कई टीमें सूरज और विक्रम की तलाश में हें, मगर समाचार लिखे जाने तक पुलिस को कामयाबी नहीं मिल सकी है।  लखनऊ के एसएसपी दीपक कुमार ने बताया है कि  पुलिस की टीमें लगातार अपराधियों के संभावित ठिकाने पर दबिश दे रही है। अब तक एक इर्जन छाचे छाले जा चुके हैं। उन्होंने उम्मीद जाहिर किया कि हत्यारें जल्द ही पुलिस की गिरफ्त में होंगे।

कौन है सूरज शुक्ला और विक्रम सिंह

सूरज शुक्ला लखनऊ के अर्जुनगंज के खुर्दही का निवासी है। वह प्रापर्टी डीलिंग का काम करता है। इस सिलसिले में वह अक्सर वैभव तिवारी से मिलता जुलता रहता है। समझा जाता है कि कल भी वह संभवतः इसी सिलसिले में कोई बात करने आया था, जिसके बाद यह कांड हुआ।

दूसरी तरफ विक्रम सिंह लखनऊ के नरही का निवासी है। उसकी मां रिटायर्ड दारोगा है।  वह लखनऊ के प्रमुखर शूटरों में शुमार किया  जाता है। उसकी हिस्ट्री शीट भी खुली है। उस पर हत्या डकैती आदि के २७ मुकदमे दर्ज हैं। लखनऊ में उसका आतंक है।

 

 

 

 

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