आप कैसे खेलमंत्री हैं चेतन चौहान जी? जिले में आकर भी खिलाड़ी बेटियों की सुधि लेना भूल गये
— खेल मंत्री चेतन चौहान सिद्धार्थनगर के प्रभारी मंत्री होकर भी नहीं जान सके महिला ख्रिलाडियों का दर्द
— पूर्व चेयरमैन जमील सिद्दीकी और आर्थोपेडिक्स डा. चेन्द्रश उपाध्याय ने की मदद, शत शत नमन
नजीर मलिक/ अजीत सिंह
सिद्धार्थनगर। प्रदेश् के खेल मंत्री चेतन चौहान सिद्धार्थनगर जिले के प्रभारी मंत्री भी हैं। रविवार को वह जिले में आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के शुभारंभ के लिए जिले जिले में मौजूद भी थे। मगर इस जिले की वालीबाल की खिलाड़ी लडकियां सोमवार से शुरू हो रहे प्रदेशीय चैम्पिनशिप में भाग लेने के लिए भीख मांग रहीं थी। आखिर यह चेतन चौल कैसे खेलमंत्री हैं जो खिलाडियों का दर्द महसूस नहीं कर सके? चेतन चौहान की इस संवेदनहीनता की सर्वत्र आलोचना हो रही है।
दरअसल जिले प्रदेशीय बालिका वालीबाल चैम्पियनशिप इस बार बरेली में 24 सितम्बर, सोमवार से आयोजित थी। सिद्धार्थनगर की श्निे पिछले वर्ष चैम्पियनशिप को जीता था। इस बार भी उनके जीतने की पूरी उम्मीद थी, लेकिन इस बार उनके लिए चैम्पियपशिप में भाग लेने के लिए कोई सरकारी बजट ही नहीं था।
खेल मंत्री के प्रभार वाले जिले में खिलाड़ियों के लिए बजट नहीं
बताते हैं कि १२ खिलाडियों और कम से कम 4 गैर खिलाडियों के लिए चैम्पियनशिप में भाग लेने के लिए २० हजार रुपये की जरूरत थी। शासन का बजट नहीं था, प्रशासन को फिक्र नहीं थी। खेल मंत्री और सुप्रसिद्ध क्रिकेटर चेतन चौहान जो सिद्धार्थनगर जिले के प्रभारी मंत्री भी हैं उन्हें भी कुछ पता नहीं था। कैसे खेलमंत्री हैं चेतन चौहान कि उनके प्रभार वाले जिले की टीम के लिए अधिेकतम २० हजार का भी बजट नहीं था, वो भी उस टीम के लिए जो गत वर्ष की चैमम्पियन रही हो?
तो भीख मांगने की नौबत आई खिलाड़ियों के समक्ष
बहर हाल खिलाड़ी बालिकाओं के जब कोई मार्ग नहीं बचा तो उन्होंने मदद स्वरूप भीख मांगने की सोची। कहीं से मदद नहीं मिली तो उनके कोच संघशील झलक इस बात को जनता तक पहुंचाने के लिए दैनिक जागरण कार्यालय पहुंचे। वहां उनकी बात सुन कर प्रभारी रत्नेश शुक्ला ने कई लोगों से बात की।
जमील सिद्दीकी और डा. चन्द्रेश आये आगे
बताते हैं खिलाडियों की व्यथा जान कर सिद्धार्थनगर मुख्यालय के नगरपालिका के पूर्व चेयरमैन मतो. जमील सिद्दीकी और प्रसिद्ध चिकित्सक डा. चन्द्रेश उपाध्याया ने सभी खिलाड़ियों को भेजने रहने का खर्चा आपस में बांट कर कर उन्हें बरेली भेजने की व्यवस्था की।
इधर रविवार को खिलाड़ी लडकियां तैयारी के लिए हालात से जूझ रहीं थीं तो दूसरी तरफ प्रदेश के खेल मंत्री चेतन आज ही जिले में चिकित्सा सेवा के संदर्भ में जिले में मौजूद थे। मगर कितनी विडम्बना है कि उन्हें न तो खिलाडियों की दुर्दशा क ज्ञान थे न ही उसे प्रशासन ने बताया ही। वे आये और चिकित्सा सेवा के एक विंग का उद्घाटन कर चले गये।
जनता का सवाल
चैम्पियनशिप के लिए बजट न होने पर खेलमंत्री और सिद्धार्थनगर के प्रभारी मंत्री चेतन चौहाना से जनता सवाल पूछती है कि अगर आप इंटरनेशनल खिलाडी होकर खिलाडिंयों के यात्रा व्यय के लिए बजट नहीं दे सकते तो जनता आपसे विकास की अपेक्षा क्यों कर रख सकती है?
सिद्धाथनगरनगर ने नेशनल खिलाड़ी दिया है- इब्राहीम
इस बारे में पूर्व वाली बाल खिलांड़ी और प्रदेश वालीबाल ऐसोशिएसन के महासचिव मो इब्राहीम कहते हैं कि जिले ने प्रदेश को कई राष्ट्रीय स्तर के महिला व पुरुष वालीबात खिलाड़ी दिये हैं, मगर संसाधनों के अभाव में वे कहीं खो गये। अगर खेल मंत्री इसको नहीं समझेंगे तो फिर इस दर्द को कौन जानेगा?