वीआइपी वार्ड 41– लड़ाई ‘चाची भतीजी और और वो’ के बीच, विधायक की भाभी और भतीजी आमने सामने

September 30, 2015 9:18 AM0 commentsViews: 528
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नजीर मलिक

Umbrella

 “एससी महिला के लिए रिजर्व जिला पंचायत के वार्ड नम्बर 41 में लड़ाई दिलचस्प है। यहां सपा विधायक विजय पासवान की भाभी और भतीजी आमने सामने है। उनके बीच है भाजपा की वंदना पासवान सहित दर्जन भर महिला उम्मीदवार। लिहाजा इस वीआईपी सीट पर पूरे जिले की निगाहें टिक गई है।”

इस वार्ड से विधायक पासवान ने कल अपनी भाभी पियारी देवी का नामांकन कराया है। उनके मुकाबले में उनकी भतीजी और बडे़ व्यवसायी की पत्नी शांति देवी पासी ने भी पर्चा दाखिल किया है।पियारी देवी के समक्ष उनकी भतीजी और पूर्व ब्लाक प्रमुख पासी शांति देवी तो हैं ही, भाजपा नेता कन्हैया पासवान ने अपनी पत्नी वंदना पासवान को मैदान में उतार कर बड़ा दांव खेला है। यह तीनों ही जिला पंचायत अध्यक्ष पद के दावेदार भी है।

बताया जाता है कि पकड़ी से लेकर कछार के गांवों में विजय पासवान का असर है। वहीं चोरई क्षेत्र के आसपास के गांवों में शांति देवी के परिवार का प्रभाव हैं। पियारी देवी जहां घरेलू महिला हैं वहीं शांति सीधे राजनीति में है।

पियारी देवी के साथ उनके पति, स्व. स्वारथ पासवान का नाम भी जुड़ा है, तो शांति देवी के जेठ आईएएस के रूप में उनके साथ हैं। दोनों पैसे और रसूख वाले है। जाहिर है कि लड़ाई यहां दिलचस्प होने वाली हैं।

जहां तक भाजपा नेता कन्हैया पासवान का सवाल है, साधनों और संसाधनों के मामले में वह दोनो के समक्ष कहीं नही ठहरते, लेकिन भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता और संघ की लाबी का मजबूत सहारा उनकी पत्नी वंदना को मिलेगा।

इसके अलावा भी इस क्षेत्र से तकरीबन 12 उम्मीदवार हैं, जिनमें राधिका पत्नी बेकारू,सहित शकुंतला, कुसुम पासवान, पुष्पलता पासवान, कुसुमलता पासवान आदि भी इन तीनों दिग्गजों को चुनौती देंगे। इनमें कई ऐसे भी है जो अपने अपने क्षेत्रों में खासा प्रभाव रखते हैं। इनमें से कोई चुनावी समीकरण पलट दे तो ताज्जुब नहीं होना चाहिए।

फिलहाल तो अभी चुनाव का शुरुआती दौर है, लेकिन इतना तो तय है कि एक ही क्षेत्र से जिला पंचायत अध्यक्ष पद के तीन-तीन उम्मीदवारों के लड़ने से चुनावी जंग रोचक ही नहीं रोमांचक भी हो गई हैं।

गौरतलब है कि इस क्षेत्र में पासवान और ब्राहमण मतदाताओं की तादाद अधिक है। पिछडे भी प्रभावशाली तादाद में हैं। इसलिए यहां पिछड़े और ब्राहमण मतदाता निर्णायक स्थिति में है। सभी प्रत्याशी इन्ही दोनों मतदाता वर्ग पर सारा जोर लगा रहे हैं।

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