Exclusive- गीता देवी दर्द “वो पगली तू न बदली, सत्ता शासन गया है बदल”

August 25, 2020 1:33 PM0 commentsViews: 1125
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— गीता आम आम आदमी से लेकर सीएम योगी तक पहुंचा चुकी है अपनी पुकार, लोग अब पगली कह कर उड़ा रहे उसके संघर्ष का मजाक

नजीर मलिक/ आरिफ मकसूद

सिद्धार्थनगर। गीता देवी एक मजदूर की पत्नी है। आभाव भरे जीवन ने उसमें संघर्ष का माद्दा कूट कूट कर भर दिया है। वह अपनी आवाज जिले के कर्मचारी से लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचा चुकी है, अभी भी वह भ्रष्ट व्यवस्था के खिलाफ आये दिन विरोध के नये नये तरीके आजमाती रहती है, लेकिन उसकी सुनवाई तो दूर दूर तक लोग अब उसे पगली कह कर उसका मजाक उड़ाने लगे हैं। जिसे देख कर यह सवाल उठना वाजिब है कि गीता देवी पगली है या सत्ता शासन तंत्र ही पूरी तरह विवेकशून्य हो गया है।

अभी गत 1 सप्ताह पूर्व दोपहर में गीता देवी अचानक इटवा चौराहे पर पहुंची और बिजली के खंभों व बांस बल्लियों पर चढ़ा कर उस पर टंगे क्षेत्रीय विधायक व बेसिक शिक्षामंत्री सतीश द्धिवेदी, मुख्यमंत्री योगी व प्रधानमंत्री मोदी जी के सम्मान में टंगे बैनरों व पोस्टरों को फाड़ना शुरू कर दिया। उसने तमाम बैनर व पोस्टर खंभों से उतार कर फाड़ डाले। पूरा टाउन खड़ा इस तमाशे को देख रहा था और गीता देवी तन्मयता से अपना काम कर रही थी, लेकिन सत्ता पक्ष का कोई कारिंदा या जनता के बीच से कोई उससे सहानुभूति तक व्यक्त करने नहीं आया। बस लोग उस पर फब्तियां कसते रहे।

लगभग 28 साल की यह महिला सिद्धार्थनगर जिले के इटवा टाउन के टोला विशुनपुर निवासी एक मजदूर की पत्नी है। उसकी समस्या दो -ढाई साल पहले शुरू होती है। जब वह अपने बीमार बच्चे के इलाज में लापरवाही के खिलाफ अस्पताल में धरने पर बैठी थी। लेकिन अपनी सुनवाई और डाक्टरों पर कार्रवाई न होते देख उसने  इस भ्रष्ट मंत्र के खिलाफ एलाने जंग कर दिया लकर अब तक उसका संघर्ष न रुका है न ही थका है

हमारे रिपोर्टर आरिफ मकसूद के डिस्पैच के अनुसार लगभग दो वर्ष पूर्व सिद्धार्थनगर आये मुख्यमंत्री योगी के एक कार्यक्रम में सुरक्षा घेरा तोड़ कर उसने सीएम से अपनी बात कही। नतीजे में एसओ इटवा समेत 5 पुलिसकर्मी सस्पेंड हुए मगर उसकी बात पर कार्रवाई नहीं हुई। यह घटना काफी दिनों तक चर्चा में रही।  

गीता की संघर्ष क्षमता का आलम यह है कि कोरोना को लेकर डाक्टरों के खिलाफ यह लेडी धरने पर अकले बैठ चुकी है। एक माह पहले कहा जाता है कि उसने इटवा में एक मंत्री जी पर काफी गुस्सा उतारा था। कहते तो यहां तक कि उसने उन पर चप्पल भी फेंका था। वह अपने क्षेत्रीय विधायक/ मंत्री सतीश चंद द्धिवेदी से बेहद दुखी है।

वास्तव में गीता का यह आक्रोश आम जनता के आक्रोश की अगुवाई करता है। वह गूंगों के शहर में आवाज देने का काम कर रही है, लेकिन जनता ही उसे तवज्जह नहीं देती रही , प्रशासन और जनप्रतिनिधि की बात तो वे तो पगली कह कर उसका मजाक उड़ाते हैं। उन्होंने न कभी गरीब की बात सुनी है, न सुन कर कुछ करने की इच्छाशक्ति ही है। गीता आज जिंदा है। किसी दिन उसके मरने की खबर आएगी। अखबार खबर छापेंगे कि पगली मर गयी और जनता चटखारे लेकर उसकी मौत की खबर पढ़ लेगी, मगर कोई यह नहीं सोच रहा कि वह जिस व्यवस्था से इस लड़ाई को लड़ रही है जो वास्तव में हर अवाम की है।

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