जानिए ‘वोटकटवा’ कैसे बिगाड़ सकते हैं डुमरियागंज सीट का समीकरण

May 6, 2019 1:08 PM0 commentsViews: 1686
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नजीर मलिक

 

 

सिद्धार्थनगर।  डुमरियागंज संसदीय क्षेत्र में वोट काटने वाले उम्मीदवारों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण रही है। याद कीजिए पिछले कई लोकसभा चुनावों की, जब वोटकटवों की भूमिका के चलते इस सीट से कई दिग्गजों को चुनाव हारना पड़ा। 1991 में कांग्रेस की मोहसिना किदवई जैसी दिग्गज और धर्म निरपेक्ष नेता को  वोटकटवों की वजह से एक नान पोलिटिकल उम्मीदवार रामपाल सिंह से हारना प़ड़ा। उसके बाद से वोट काटने वाले उम्मीदवारों के चलते चुनावी समीकरण बदलते रहे।

जब वोट कटवा की वजह से धनराज यादव हारे, सईद्र भ्रमर जीते

दरअसल विधानसभा,/लोकसभा चुनावों में कुछ उम्मीदवार तो लड़ते हैं जीत के दावे के साथ, लेकिन असल में उनकी भूमिका वोटकटवा में बदल जाती है।इससे कई बार कांटे कि टक्कर वाले चुनाव में किसी न किसी प्रत्याशी का नुकसान या फायदा हो जाता है। मिसाल क तौर पर वर्ष 1989 के विधानसभा चुनाव में जिले की सदर सीट से चुनाव में सईद भ्रमर ने धनराज यादव को मात्र 304 मतों से हरा दिया। यहां पर चन्द्रपाल रावत ने  २५९४ वोट प्राप्त किया जो अधिकंश यादव मत थे। इस प्रकार यदि चन्द्रपाल रावत नहीं लड़ते तो धनराज यादव की जीत पक्की थी।

इसी प्रकार सिद्धार्थनगर जिले के इतिहास में कई ऐसे चुनाव का उल्लेख किया जा सकता है जब वोटकटवों की वजह जीतते हुए उम्मीवार को हारना पड़ा और हार की तरफ बढ रहा उम्मीवार अचानक जीत गया। इस बार डुमरियागंज संसदीय सीट पर पर भी वोटकटवों की भूमिका बड़ी हो सकती है।

डुमरियागंज सीट पर इस बार तीन निर्दलों की भूमिका महत्वपूर्ण

डुमरियागंज सीट पर फिलहाल त्रिकोणीय मुकाबला हो रहा है।  अस सीट से इस बार दस उम्मीदवार मैदान में हैं। लेकिन उनमें पीस पार्टी के इंजीनियर इरफान, बहुजन मुक्ति पार्टी कि अर्जुन सिंह लोधी व सुहेल देव भारतीस समाज पार्टी के केशव राजभर ऐसे प्रत्याशी हैं जो चुनाव परिणाम को कुछ न कुछ प्रभावित कर सकते हैं। इरफान पीस पार्टी के अध्यक्ष डा. अयूब के बेटे हैं।

गठबंधन को पीस पार्टी और भजपा को सुहेल भासपा से खतरा

बता दें सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और बहुजन मुक्ति पार्टी को मिलने वाले वोट अन्ततः भाजपा का नुकसान करेंगे और पीस पार्टी को मिले मतों से गठबंधन कमजोर होगा। ज्ञात रहे कि पीस पार्टी का मुस्लिम और सुहेलदेव पार्टी का राजभर मतों में अच्छा प्रभव है। अगर इन प्रत्याशियों ने कहीं अधिक वोट पाने में सफलता प्राप्त की तो तीसरे नम्बर पर चल रही कांग्रेस पार्टी में त्रिकोण का तीसरा कोण बन सकती है। पिछले चुनाव में पीस पार्टी को मिले वोट ही बसपा के मुहम्मद मुकीम पूर्व सांसद की हार की खास वजह बने थे।

 

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