डा. अयूब ने वर्करों को दिखाया दलित, पिछड़ा और मुस्लिम एकता का सियासी सपना,

April 29, 2016 3:46 PM0 commentsViews: 534
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नजीर मलिक

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सिद्धार्थनगर। डुमरियागंज में कल आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन में पीस पार्टी के अध्यक्ष डा. मो. अयूब ने अपने वर्करों को दलित, पिछड़ा और मुस्लिम एकता का सपना दिखाया। इस सपने की ताबीर भले ही तय न हो, लेकिन उन्होंने वर्करों में उम्मीदें तो भर ही दी हैं।

वर्करों के सम्मेलन में उन्होंने कहा कि यूपी विधानसभा में तमाम दलों के 72 मुस्लिम विधायक हैं। इसके अलावा दलित और पिछड़ा वर्ग के भी सौ विधायक हैं। उन्होंने कहा कि तीनों वर्गों के पौने दो सौ एमएलए अपनी विरादरी के हित के लिए कोई आवाज नहीं उठाते।

उन्होंने इस एकता की वकालत करते हुए कहा कि पीस पार्टी इन तीनों वर्गों के लोगों के हित की पक्षधर हैं। वह यूपी में इसी जातीय गठजोड़ के सहारे चुनाव मैदान में उतरेंगे। पीपा अघ्यक्ष ने कहा कि तीनों वगर्एं की एकजुटता के बिना प्रदेश में इन वर्गों का भला होने वाला नहीं है।

सपा, बसपा और भाजपा पर जम कर हमला बोलते हुए डा़ अयूब ने कहा कि भाजपा साम्प्रदायिकता फैला रही है तो सपा, बसपा दलितों. पिछड़ों और मुसलमानों का सियासी शोषण कर रही है। उन्होंने कहा कि लोगों को इनसे सावधान रहना होगा।

सम्मेलन में भाग लेने आये पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डा. मन्नान सहित प्रदेश महासचिव किशोर यादव, अफरोज बादल ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में  अरबाब फारूकी, अजहर फारूकी, अजीजुल्लाह अजीजुर्रहमान, अब्दुर्रहमान, अब्दुल कलाम आदि की मौजूदगी काबिले गौर रही।

क्यों है डुमरियागंज पर नजर

डा. अयूब हाल में डुमरियागंज विधानसभा क्षेत्र में काफी सक्रिय देखे जा रहे हैं। सियासी गलियारों में चर्चा है कि समूचे यूपी में डुमरियागंज में पीस पार्टी की ताकत बहुत अधिक है। यहां से पिछले चुनाव में पीस पार्टी के विधायक भी चुने गये थे।

लोगों का मानना है कि डा. अयूब अगले चुनाव में यहां से अपने बेटे इरफान अयूब को मैदान में उतारना चाहते हैं। हालांकि पार्टी ने आफिशियली इसकी पुष्टि नहीं की है।

कितना असर डालेगा दलित, पिछड़ा कार्ड

सम्मेलन में डा अयूब का पूरा जोर दलित, पिछड़ा और मुस्लिम वर्ग का गठजोड़ बनाने पर था, लेकिन उनका यह कार्ड कितना असर डालेगा यह देखने की बात होगी।

डुमरियागंज को ही लीजिए, इस क्षेत्र में पार्टी के पास दलित या पिछड़े वर्ग के नेता तो क्या वर्कर भी नहीं हैं। ऐसे में वह किस आधार पर यहां अपना जनाधार बढ़ा पायेंगे, यह अहम सवाल है।

 

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