यादेंः चौंकाने वाले नतीजे देती रही है कपिलवस्तु विधानसभा सीट

January 20, 2017 4:44 PM0 commentsViews: 1057
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नजीर मलिक

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सिद्धार्थनगर। जिले की सदर यानी कपिलवस्तु विधानसभा का नाम पहले नौगढ़ था। उससे पहले इस सीट को बानगंगा पूरब के नाम से जाना जाता था। यहां से 1952 में चुने गये पहले विधायक का नाम सुलेमान अदहमी था। वह बस्ती जिले के नामी वकील थे। अदहमी यहां दो बार विधायक रहे।इस सीट पर अकसर चौंकाने वाले नतीजे आते हैं।

1962 के चुनाव में कांग्रेस ने यहां से मथुरा प्रसाद पांडेय को टिकट दिया और वह भारी मतों से चुनाव जीत गये। लेकिन 67 में परिसीमन के बाद सीट का समीकरण बदल गया। कूडा घोंघी नदियों का द्धाबा क्षेत्र इसमें मिल जाने के कारण यहां पिछड़ा वर्ग के मतों की संख्या बढ़ गई।बहरहाल 67 के चुनाव में मथुरा पांडेय जैसे कांग्रेसी दिग्गज को धनराज यादव नाम के युवा जनसंघी ने हरा कर चौंका दिया। इसके बाद से कांग्रेस यहां कमजोर हो गई।

पुत्र ने लिया पिता की हार का बदला

1969 में मथुरा पांडेय एमएलसी हो गये। उन्होंने कांग्रेस का टिकट अपने बेटे अभिमन्यु पांडेय को दिलाया। अभिमन्यु पांडेय ने धनराज यादव को हरा कर पिता की हार का बदला ले लिया। 1974 में जनसंघ से बर्डपुर निवासी राम रेखा यादव को टिकट मिला और वे जीते भी, मगर 77 के चुनाव में कांग्रेस विरोधी लहर के बावजूद मथुरा पांडेय ने रामरेखा को हरा दिया। इस चुनाव में गोरखपुर से गोंडा के बीच केवल मथुरा पांडेय ही कांग्रेस पार्टी से जीत सके थे।

1980 में जनसंघ भाजपा में तब्दील हो गयी। 80 के चुनाव में भाजपा ने धनराज यादव को टिकट दिया उन्होंने मथुरा पांडेय को हरा दिया। 85 के चुनाव में धनराज के हाथों हार कर मथुरा पांडेय राजनीति से अलग हो गये।

सईद भ्रमर निकले छुपे रुस्तम

89 के चुनाव में भाजपा के धनराज यादव व कांग्रेस के ईश्वर चन्द शुक्ल में कड़ा मुकाबला माना जा रहा था। मगर मृत पड़े लोकदल के उम्मीदवार के रूप में सईद भ्रमर छुपे रुस्तम निकले। उन्होंने धनराज यादव को चित्त कर दिया। इसके बाद 91, 93 और 96 में धनराज यादव लगातार तीन बार विधायक हुए। 2002 के चुनाव में सपा के सुवा नेता अनिल सिंह ने धनराज धनराज जैसे दिग्गज को हरा कर खुग नाम कमाया। फिर 2007 में धनराज यादव कांग्रेस के ईश्वर चन्द्र शुक्ल से हार कर राजनीति से जुदा हो गये।

इसके बाद परिसीमन में सीट रिजर्व हो गई और सीधे टिकट लेकर राजनीति में आये सपा के विजय पासवान यहां से विधायक बनें। उन्होंने भाजपा के दिग्गज नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्रीराम चौहान को ४० हजार मतों से हरा कर तहलका मचा दिया। इस विधानसभा में यह यह अब तक के सबसे बडे अंतर की जीत रही।

 

 

 

 

 

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