बुलंद रुतबाः यह डीएम साहब का बुलडोजर है जीǃ बिना चले तोड रहा आलीशान कोठियां
आलीशान कोठी सहित डेढ़ सौ पक्के अतिक्रमण को लोग खुद तोड़ रहे छेनी व हथौड़ी से, डीएम का बुलडोजर खामोश तमाशा देख रहा
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। एक कहावत है कि शासन सत्ता किसी के नाम से नहीं चलता। यदि पद का इकबाल बुलंद हो तो सब कुछ अपने आप ठीक हो जाता है। सिद्धार्थनगर के डीएम डा. राजागणपति आर के साथ भी यही है। उनकी कुर्सी का इकबाल इतना बुलंद है कि उनकी तिरछी नजर से ही बहुत कुछ ठीक हो जाया करता है। यही कारण है कि आजकल उनके यहां फरियादियों की भीड़ लगी रहती है। कुछ भ्रष्ट अधीनस्थ ऐसे हैं जो उनके सामने जाने से भी डरते हैं। इस बार शहर के खजुरिया मार्ग से अवैध कब्जों को हटाने के मामले में एक बार फिर उनकी कुर्सी का इकबाल बेहद बुलंद देखा गया। उनके बुलडोजर खड़े है और अवैध कब्जा धारी अपने आलीशान मकानों को खुद ही तोड रहे है। बुलडोजर उन्हीं इक्का दुक्का मकोनों पर चल रहा है जिनके मालिक अपने बेहद मजबूत मकानों को खुद से तोड़ने में स्वयं को असहाय पा रहे हैं।
खजुरिया मार्ग आज शहर का सबसे व्यस्ततम मार्ग है। मगर अतिक्रमण के चलते यहां की हालत दयनीय रहती है। पिछले दस वर्षों में यहीं के अवैध कब्जे को हटाने के अनेक प्रयास हुए मगर राजनीतिक हस्तक्षेप और भवन स्वामियों के अपने प्रभाव के कारण कोई भी शख्स अतिक्रमण हटा नहीं सका। लेकिन चंद दिन पहले आये नये जिलाधिकारी के आते ही स्थिति पलट गई। नगर पालिका ने पहले सड़क को 13 मीटर चौड़ी बनाने के लिए निशान लगाये थे। बाद में डीएम के हस्तक्षेप से उसे 14 मीटर कर दिया गया। इस प्रकार 10 फुट चौड़ी सड़क का 40 फुट चौड़ा बनाने का मार्ग साफ हो गया। मगर आलीशान कोठियों के मालिकों ने पूर्व की भांति इसे एक अफसर का खोखला कदम ही समझा और चुपचाप बैठे रहे।
अब आयी जिलाधिकारी के रुतबे की भूमिका। लोगों को अपना अतिक्रमण हटाने के लिए 24 अगस्त तक समय दिया गया था। फिर 25 आगस्त रविवार से बुलडोजर को अपना काम करना था। पहले तो लोगों ने इस पर ध्यान नहीं दिया, मगर अचानक 22 अगस्त को लोगों ने देखा कि जिला पंचायत कार्यालय का विशाल गेट विभाग ने खुद ही तोड़ दिया। उसने अपनी किराये की दुकाने भी तोड़ डालीं। वहां दो बुलडोजर भी खड़े कर दिये गये। यह देख कर 8 सौ मीटर लम्बी सड़क के दोनों तरफ बने लगभग ड़ेढ़ सौ मकानों के मालिक पैमाइश के अनुसार अपने अपने पक्के निर्माण खुद ही तोड़ने लगे। तबसे लोग रात में जनरेटर लगा कर अपने विशाल भवनों को खुद ही तोड़ रहे हैं। उन्हें बता दि गया है कि यदि बुलडोजर तोड़ेगा तो बचा खुचा भवन भी कमजोर हो जायेगा, इस डर से भवन स्वामी छेनी हथौड़ी से अपने मकानों को खुद ही तोड़ दे रहे हैं।
अवैध कब्जा हटाने के लिए बुलडोजर तो चलता ही रहता है, मगर सिद्धार्थनगर में बुलडोजर से अधिक खौफ जिलाधिकारी के हुक्म का दिख रहा है लोग उदास निगाहों से अपने आशियाने को खुद बर्बाद कर रहे हैं। इनमें कई एक मकान तो करोड़ों की लागत वाले हैं। बुलडोजर केवल वहीं अपनी भूमिका निभा रहा है जिसके मकानों के स्वामी आकर स्वयं बुलडोजर की माग करते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि किसी के साथ कोई पक्षपात नहीं होने दिया गया। हालत यह है कि नगर पालिका के एक पूर्व अध्यक्ष स्वयं अपना भवन तुड़वाते देखे गये। अध्यक्ष ही नहीं ऐसे लोगों में अधिवक्ता, डाक्टर, रिटायर्ड अफसर आदि सभी शामिल हैं। इसे कहते हैं कुर्सी का इकबाल यानी रुतबा।
बता दें कि अभी पिछले सप्ताह डीएम डा. राजागणपति आर ने शहर के भीमापार मुहल्ले में ताकतवर लोगों का अतिक्रमण तुड़वाया था। हालांकि भ्रष्ट अधीनस्थों के कारण वे वह सब नहीं कर पा रहे है, जो वह चाहते हैं, मगर कुछ दिनों में उन्होंने बहुत कुछ सुधार दिया है। लोग कहते हैं कि काश! डीएम की तरह जिले में चार पांच अफसर और होते तो जिले की सूरत बदल जाती। डीएम के तेवर देख जिले के नेता हैरान हैं। अब गरीब अपनी समस्या लेकर नेता के बजाये कलक्टर के पास जाना पसंद करते हैं।