जिला पंचायत अध्यक्ष के टिकट की रेस में शीतल सिंह की रफतार बढ़ी, फैसला लखनऊ से होगा

June 3, 2021 1:30 PM0 commentsViews: 2259
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टिकट को लेकर भाजपा विधायक व सांसद अलग अलग खेमों के पक्ष,  में लेकिन संघ स्वयं सेवकों के बीच शीतल सिंह का प्रभाव अधिक

नजीर मलिक

                   

शीतल सिंह पत्नी उपेंद्र सिंह, तगड़ी दावेदारी

सिद्धार्थनगर। जिला पंचाायत अध्यक्ष पद के लिए भाजपा से टिकट फाइनल कराने का अभियान अब अंतिम चरण है। लखनऊ की हाई प्रोफाइल मीटिंग से उत्पन्न माहौ के सामान्य होते ही भाजा जिला पंचायत अध्यक्ष के टिकट का फैसला करने के साथ चुनाव तिथि का एलान भी करा देगी। ऐसे में क्षत्रिय समाज से टिकट के दावेदार खेमों की शक्ति कर आंकलन कर लेना जरूरी हो जाता है।   

पूर्व सांसद रामपाल सिंह की बहू सुजाता सिंह

 

विधायक सांसद में कौन किसके साथ?

इस वक्त सिद्धार्थनगर से जिल पंचायत अध्यक्ष पद के लिए तीन राजपूत नेता या उनके परिवार के लोग दावेदार है जो महिला के लिए आरक्षित इस सीट से अपनी पत्नियों को चुनाव लड़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। पहले नम्बर पर खेसरहा क्षेत्र से आने वाले भाजपा नेता उपेन्द्र सिंह हैं जो अपनी पत्नी को अग्रणी दावेदार बनाये हुए हैं। वह मूल रूप से ठेकेदार हैं तथा पुराने भाजपा समर्थक है मगर हाल में भाजपा में पूर्ण रूप से सक्रिय हुए हैं। इनकी पत्नी शीतल सिंह शुरू से ही जिला पंचायत अध्यक्ष के दावेदार के रूप में जानी जाती रही हैं। इसके बाद पूर्व सांसद रामपाल सिंह की पुत्र वधू सुजाता सिंह व भाजपा नेता हरिशंकर सिंह की पत्नी शांति सिंह भी गंभीर दावेदार के रूप में उभरी हैं। ऐसे में मूल सवाल यह है कि  कि भाजपा के जिला स्तर के नेता और विधायक मंत्री आदि किसके साथ हैं तथा उनकी पैरवी कितनी दमदार है?

सूत्रों के मुताबिक जिले के भाजपा के चार विधायकों में दो शीतल सिंह पत्नी उपेन्द्र सिंह के साथ हैं। बांसी के विधायक और स्वास्थ्यमंत्री जय प्रताप सिंह के बारे में कहा जाता है कि पूर्व सांसद राम पाल सिंह की बहू सुजाता सिंह पत्नी ज्ञान सिंह के पैरोकार हैं। लेकिन जिले के सांसद का भी झुकाव शीतल सिंह के साथ होने से उनका पलड़ा थोड़ा वजनदार हो जाता है। वैसे भी मंत्री जी और सांसद जी में वैचारिक मतभेद वर्षों से चले आ रहे हैं। इसलिए इस बात की कोई उम्मीद नहीं कि दोनों राजनीतिज्ञ किसी एक नाम पर एकमत हो सकेंगे।

पार्टी के स्थानीय नेतृत्व का रुझान

अब सवाल आता है कि पार्टी के स्थानीय नेतृत्व का समर्थन किसके साथ है? इस बारे में बता दें कि जिला पंचायत चुनाव में भी एक मंत्री जी शीतल सिंह को टिकट दिये जाने के विरोधी थे। लेकिन जिले के नेताओं को पूरा समर्थन शीतल के साथ था और उन्हें टिकट मिला भी। इससे अनुमान लगाना आसान है कि टिकट के मसले पर स्थानीय लीडरशिप किसके साथ है? इस  प्रकार प्रकार भाजपा संगठन और सरकार के दोनों हिस्सों में शीतल सिंह के प्रति झुकाव तय हैं। अब निर्णयक पक्ष यानी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की भूमिका पर भी चर्चा कर लेना जरूरी है। क्योंकि संघ की शक्ति को भाजपा में नजरअंदाज कर आसान नहीं है।

संघ का पलड़ा किसकी तरफ झुकेगा

जानकार अच्छी तरह समझते हैं कि भाजपा में चुनावों के दौरान संघ लाबी के रुझान या समर्थन को पार्टी में बहुत अहमियत दी जाती है। सिद्धार्थनगर जिला पंचायत के टिकट को लेकर संघ भी अपनी राय पेश करेगा, ऐसे में यह बताना जरूरी है कि स्थानीय स्तर पर संघ वर्कर की राय क्या है। इस संदर्भ में एक बात उल्लेखनीय है कि गत महीनों में रब अयोध्या मंदिर के निर्माण के लिए चंदा लिया जा रहा था तो उपेन्द्र सिंह इस जिले में सर्वाधिक चंदा देने वालों में शामिल थे। इसके बाद से संघ में उनकी पैठ बढ़ी है। इसके अलावा इस प्रकार के कार्यक्रमों में वे आगे बढ़ कर दान करते हैं। यह बात संघ के स्थानीय नेतृत्व को भली भांति पता है।

यही नहीं संघ के कभी सिद्धार्थनगर के जिला प्रचारक रहे अनिल जी इस समय संघ के क्षेत्र प्रचारक है और लखनऊ कार्यालय में बैठते हैं। उनकी राय पूर्वी उत्तर प्रदेश की राजनीति महत्व रखती है। वह जिले के संघ के वर्करों के कहने पर उपेन्द्र सिंह की पत्नी के समर्थन की बात कर सकते हैं।

फाइनली क्या है दावेदारों की स्थिति?

भाजपा के एक जिम्मेदार सूत्र के अनुसार पार्टी कि स्थानीय वर्करों व विधायक सांसद के बीच दोनों खेमों की स्थिति यही दिखती है। इस स्थिति में हरिशंकर सिंह की दावेदारी लगभग न के बराबर ठहरती है। हालांकि भाजपा के तटस्थ वर्करों का कहना है कि उनका सबसे माइनस प्वाइंट आर्थिक संसाधनों का अपेक्षाकृत कम होना है वरना पार्टी के वे मेहनती और अच्छी छवि वाले नेता हैं। तथा अतीत में पार्टी उनके साथ एक बार ज्यादती कर चुकी है। उसे भरने का यह भरपूर मौका था। मगर पैसे के चलते ऊप से नीचे तक वर्कर मुख्यतः शीतल सिंह पत्नी उपेंद्र सिहं और सुजाता सिंह पत्नी ज्ञान सिंह के खेमों में बंट गये हैं। उसमें भी अधिक झुकाव शीतल सिंह की तरफ है। लेकिन इन सबसे बढ़ कर लखनऊ क्या फैसला करता है यह महत्वपूर्ण है। इसलिए अब लखनऊ में लाबीइंग की तैयारियां शुरू हो गई हैं।

 

 

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